कोलंबो: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है। श्रीलंका अब तक के गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। ऐसे में अब उम्मीद जताई जा रही है कि श्रीलंका के आर्थिक हालात में सुधार होगा। खुद श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने आईएमएफ के बेलआउट पैकेज में मिलने के बाद भारत और चीन को धन्यवाद दिया है। वहीं, कंगाली की दहलीज पर खड़ा पाकिस्तान अब भी आईएमएफ के कर्ज का इंतजार कर रहा है। चीन से मिले चंदे से पाकिस्तान का आर्थिक संकट थोड़ा कम जरूर हुआ है, लेकिन उसे पूरी तरह से उबरने के लिए आईएमएफ की मदद की जरूरत है।
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में होगा सुधार
आईएमएएफ के बोर्ड ने पुष्टि की है कि उसने श्रीलंका के लिए कर्ज को मंजूरी दी है। इससे श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए डिजाइन किए गए चार साल के कार्यक्रम की औपचारिक रूप से शुरूआत हो चुकी है। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने एक बयान में कहा कि मैं आईएमएफ और अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के प्रति उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त करता हूं, क्योंकि हम विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन और हमारे महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडे के माध्यम से अर्थव्यवस्था को लंबे समय के लिए पटरी पर लाना चाहते हैं।
अप्रैल 2022 में कंगाल हुआ था श्रीलंका
श्रीलंका अप्रैल 2022 में अपने विदेशी कर्ज की किश्त भरने ने चूक गया था। इसका प्रमुख कारण श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार का खाली होना था। श्रीलंका आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका के 2.2 करोड़ लोग विदेश से आयात होने वाले सामानों की कमी से जूझ रहे हैं। इस कारण श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल भी देखने को मिल चुका है। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा और कई नेताओं के घरों पर हमले किए गए। यहां तक कि वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के घर पर भी हमले हुए।
राजपक्षे ब्रदर्स को देना पड़ा था इस्तीफा
आर्थिक कुप्रबंधन, भोजन, ईंधन और दवाओं की भारी कमी, बढ़ती मुद्रास्फीति पर व्यापक विरोध ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश से भागने और जुलाई में इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। इसी कारण राजपक्षे की जगह रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति बनाना पड़ा। उन्होंने पद संभालते ही आईएमएफ के साथ डील कर ने के लिए खर्च में कटौती की और टैक्स रेट को बढ़ाया।
आईएमएफ के बेलआउट पैकेज में क्यों हुई देरी
श्रीलंका को आईएमएफ का बेलआउट पैकेज काफी समय पहले ही मिलने वाला था। लेकिन, श्रीलंका को सबसे ज्यादा कर्ज देने वाला चीन इसमें अड़ंगा लगा रहा था। चीन ने लंबे समय तक श्रीलंका को वित्तीय आश्वासन नहीं दिया, जबकि भारत ऐसा बहुत पहले ही कर चुका था। बीजिंग ने कहा था कि इस साल वह श्रीलंका को अपने ऋण पर दो साल की मोहलत की पेशकश कर रहा है, लेकिन इससे श्रीलंका को आईएमएफ से मिलने वाले कर्ज पर रियायतें कम कर दी गईं। श्रीलंका ने चीन से 10 साल के लिए मोहलत मांगी थी। खुद विक्रमसिंघे ने कहा था कि उनके देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली है, ऐसे में कर्ज चुकाने में लंबा समय लग सकता है।