नई दिल्ली: मार्च का महीना खत्म होने वाला है। कुछ दिन बाद अप्रैल माह की शुरुआत हो जाएगी। हर महीने की पहली तारीख को कई बदलाव होते हैं, लेकिन कई काम ऐसे हैं जो आपको 31 मार्च से पहले करने जरूरी हैं। पैसों से जुड़े इन कामों को नहीं करने पर आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इनकम टैक्स रिटर्न, आधार पैन लिंक और इंश्योरेंस पॉलिसी सहित कई कार्य आपको 31 मार्च से पहले निपटाने जरूरी हैं। इनका सीधा संबंध आपकी जेब से है। आइए आपको बताते हैं इन कामों के बारे में।
1 – पैन को आधार से करें लिंक
आधार (Aadhaar) को पैन (PAN) से लिंक करने की आखिरी तारीख सरकार ने बढ़ाई थी। पहले यह 30 सितंबर 2021 थी फिर इसे बढ़ाकर 31 मार्च 2022 किया गया। इसके बाद 31 मार्च 2023 तक बढ़ाया गया है। इस तारीख तक आधार को पैन से लिंक जरूर कर लें। ऐसा नहीं करने पर आपका पैन डिएक्टिवेट हो जाएगा। आपपर फाइन भी लग सकता है। आप शेयर, म्युचुअल फंड्स और दूसरी सिक्योरिटीज में निवेश नहीं कर पाएंगे।
2 – आईटीआर फाइल करें
टैक्सपेयर्स को अपडेटेड ITR फाइल करना चाहिए। FY20 या असेसमेंट ईयर 2020-21 (AY21) के लिए अपडेटेड आईटीआर फाइल करने की अंतिम डेट 31 मार्च है। आईटीआर फाइल ही नहीं किया गया, तो भी इसे फाइल किया जा सकता है। हालांकि, जीरो या नेगेटिव रिटर्न वाले लोगों को अपडेटेड ITR फाइल करने की जरूरत नहीं है।
3 – नॉमिनी का नाम जोड़ना
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं। कंपनियों के शेयरों को खरीदते और बेचते हैं तो आपको 31 मार्च तक अपने डीमैट अकाउंट में नॉमिनी का नाम जोड़ना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर आपका खाता फ्रीज हो जाएगा। आप स्टॉक खरीद और बेच नहीं पाएंगे। सेबी ने सभी डीमैट (Demat Accounts) और ट्रेडिंग अकाउंट होल्डर्स के लिए एक नॉमिनी रखना अनिवार्य कर दिया है।
4 – पीएम वय वंदना योजना में निवेश
पीएम वय वंदना योजना में निवेश करने का अंतिम मौका 31 मार्च 2023 तक है। इसके बाद आप इस योजना में निवेश नहीं कर पाएंगे। सरकार ने अभी योजना को आगे बढ़ाने के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की है। आप इसमें 31 मार्च तक ही निवेश कर सकते हैं।
5- टैक्स डिडक्शन का फायदा
अगर आप हाई प्रीमियम वाली एलआईसी पॉलिसी पर टैक्स डिडक्शन का फायदा उठाना चाहते हैं तो आपको 31 मार्च 2023 से पहले इसे सब्सक्राइब करना होगा। आपको 31 मार्च के बाद इसपर छूट नहीं मिल पाएगी। एक अप्रैल 2023 से लागू होने वाले नए इनकम टैक्स रूल्स के मुताबिक, 5 लाख के वार्षिक प्रीमियम से ज्यादा जीवन बीमा पॉलिसियों पर कमाई टैक्सेबल होगी।