नई दिल्ली: आईफोन (iPhone) और आईपैड (iPad) बनाने वाली अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनी एपल (Apple) को भला कौन नहीं जानता है। यह मार्केट कैप के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। इसके प्रॉडक्ट्स का दुनियाभर के लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। पिछले साल जनवरी में तो इसका मार्केट कैप तीन लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंच गया था। फिलहाल इसका मार्केट कैप 2.535 लाख करोड़ डॉलर है जो दुनिया के कई देशों की जीडीपी से अधिक है। यानी इसका एक परसेंट शेयर भी किसी के पास हो तो वह 25 अरब डॉलर यानी करीब दो लाख करोड़ रुपये का मालिक होगा। अब सोचिए कि किसी के पास एपल के 10 परसेंट शेयर हों और उसने 800 डॉलर में इन्हें बेच दिया हो। उसे आज अपने फैसले पर कितना मलाल हो रहा होगा। लेकिन यह सच है। इस शख्स का नाम है रोनाल्ड वेन (Ronald Wayne)। वह कंपनी के तीन को-फाउंडर्स में से एक हैं। लेकिन उनके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है।
वेन ने स्टीव वॉज्नियाक (Steve Wozniak) और स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) के साथ मिलकर एपल (Apple Inc.) की स्थापना की थी। उस समय वॉज्नियाक की उम्र 21 साल और जॉब्स की 25 साल थी जबकि वेन की उम्र 42 साल थी। यानी वह इस मंडली में सबसे अनुभवी व्यक्ति थे। उन्हें कंपनी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग और डॉक्युमेंटेशन की जिम्मेदारी दी गई थी और इसके बदले में 10 फीसदी हिस्सेदारी मिली थी। एक अप्रैल 1976 को वेन ने टाइपराइटर उठाया और हर आदमी की जिम्मेदारी तय करते हुए एक एग्रीमेंट बनाया। इतना ही नहीं कंपनी का पहला लोगो भी उन्होंने ही तैयार किया था।
क्यों हुए कंपनी से अलग
कंपनी का पहला लोगो आइजक न्यूटन की तस्वीर थी। इसमें वह सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे। यह लोगो उस घटना को बयां कर रहा था जिसने न्यूटन को गुरुत्वाकर्षण की खोज के लिए प्रेरित किया था। लेकिन जल्दी ही वेन का मन कंपनी से ऊब गया। उनको लगने लगा कि कंपनी बिजनस के लिए जो भी कर्ज लेगी, वह उनके ही मत्थे चढ़ेगा। जॉब्स ने 15,000 डॉलर का लोन ले रखा था ताकि कंपनी के पहले कॉन्ट्रैक्ट के लिए सप्लाई खरीदी जा सके। कंपनी को पहला कॉन्ट्रैक्ट बे एरिया कंप्यूटर स्टोर द बाइट शॉप (The Byte Shop) से मिला था। उसने एपल को करीब 100 कंप्यूटर का ऑर्डर दिया था। लेकिन The Byte Shop बिल न देने के लिए बदनाम थी और वेन को चिंता थी कि एपल को पैसे नहीं मिलेंगे।
दूसरी बार भी गंवाया मौका
लेकिन हैरानी की बात है कि वेन को अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कुछ साल पहले बिजनस इनसाइडर से एक इंटरव्यू में यह बात कही थी। उनका कहना था कि एपल में उनके लिए कोई खास संभावनाएं नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘अगले 20 साल में डॉक्यूमेंटेशन डिपार्टमेंट में पेपर्स देखते रहा। मैं 40 साल से ऊपर का था और वे 20-22 साल के थे। मेरे लिए यह शेर की पूंछ जैसी थी। अगर में एपल में टिका रहता तो दुनिया के सबसे अमीर लोगों में मेरा नाम होता।’