नई दिल्ली: चीन की हरकतों के मद्दनेजर बॉर्डर तक सैनिकों की आवाजाही आसान होना जरूरी है। भारत किस कदर चौंकन्ना है, इसकी एक बानगी देखिए।बर्फबारी के चलते बाधित रूट इस बार रेकॉर्ड समय में खोल दिए गए हैं। जी हां, सीमा सड़क संगठन (BRO) ने सभी तीनों लेह रूट खोल दिए हैं। श्रीनगर और मनाली से होकर लद्दाख जल्द पहुंचा जा सकेगा। हिमाचल प्रदेश में अटल टनल का भी फायदा मिलेगा। 439 किमी लंबा श्रीनगर रूट 68 दिन में ही 16 मार्च को खुल गया। श्रीनगर से 100 किमी दूर 11,540 फीट की ऊंचाई पर जोजिला वाला रास्ता महीनों तक बंद रहता था। यह 6 जनवरी तक खुला था। इधर, अटल टनल के रास्ते 427 किमी लंबी मनाली-लेह रोड शनिवार को 138 दिन में ही खोल दी गई। जबकि पहले यह मई-जून में खुल पाती थी। लेह-मनाली हाईवे लद्दाख को मनाली के रास्ते भारत के दूसरे हिस्सों से जोड़ता है। इस रूट का रणनीतिक महत्व है क्योंकि इसके जरिए सशस्त्र बलों की मूवमेंट होती है और लद्दाख क्षेत्र में अग्रिम चौकियों तक आपूर्ति पहुंचाई जाती है।
BRO बर्फ हटाने का ऑपरेशन युद्ध स्तर पर करती है। आधुनिक मशीनों की मदद से अनुभवी एवं प्रशिक्षित टीम इसमें काम करती है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 55 दिन में ही निम्मू-पदम-दार्चा (NPD) रोड पर शिंकू ला पास खोल दिया गया, जो 16561 फीट की ऊंचाई पर है। लद्दाख तक पहुंचने के ये तीन रास्ते फिर से तैयार हो गए हैं। मई 2020 में गलवान बॉर्डर पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। पहले ये रास्ते मई-जून में खुलते थे लेकिन अब जल्दी शुरू होने से सैनिकों की आवाजाही आसान हो सकेगी।
प्लेन से सामान और आपूर्ति पहुंचाना काफी खर्चीला होता है लेकिन इन रास्तों से ट्रक जल्दी और आसानी से पहुंच सकेंगे। जिनके घर लद्दाख में हैं, वे भी महंगे हवाई सफर की बजाय सस्ते में सड़क मार्ग से आ जा सकेंगे। पहले भारी बर्फबारी के कारण सड़क कनेक्टिविटी बंद हो जाती थी।कम समय तक रास्ते बंद रहना बीआरओ की बर्फ हटाने की क्षमता को दिखाता है। सरकार दो और सुरंग बनाने की दिशा में काम कर रही है। जोजी ला के नीचे एक का काम जल्द पूरा होगा। दूसरी टनल शिंकू ला के नीचे बन रही है। इससे लद्दाख तक सभी मौसम के लिए कनेक्टिविटी मिल जाएगी। सीधा फायदा सेना को मिलेगा और क्षेत्र में उसकी तैयारी मजबूत हो सकेगी। शिंकू ला टनल बनने से हिमस्खलन, भूस्खलन के लिहाज से जोखिम भरे संकरे रास्ते से भी बचा जा सकेगा। मनाली-लेह रूट पर सर्दी के मौसम में काफी विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
बॉर्डर पर 37 और सड़कें!
सरकार भारत-चीन सीमा पर 875 किमी लंबी 37 और सड़कें बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। भारत-चीन सीमा सड़क कार्यक्रम के तहत 13,000 करोड़ रुपये का काम प्रस्तावित है। तीसरे चरण में 70 प्रतिशत काम अरुणाचल प्रदेश में होना है। इस समय ICBR के पहले और दूसरे चरण का काम जारी है। इसके तहत 1435 किमी लंबी सड़कें लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल में बनाई जा रही हैं।
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