नई दिल्ली: आरबीआई (RBI) ने होमबायर्स को बड़ी राहत दी है। केंद्रीय बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट (repo rate) में लगातार छह बार बढ़ोतरी के बाद इस पर ब्रेक लगा दिया है। महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई पिछले साल मई से रेपो रेट में छह बार बढ़ोतरी कर चुका था। इस दौरान रेपो रेट चार फीसदी से 6.5 फीसदी पहुंच चुका है। माना जा रहा था कि सातवीं बार भी इसमें बढ़ोतरी होगी। अधिकांश एनालिस्ट्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी का अनुमान लगा रहे थे। लेकिन आरबीआई ने सभी अनुमानों के उलट रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि यह एक तरह की अस्थाई राहत है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने साफ किया है कि यह एक ठहराव है और आने वाले दिनों में फिर से रेपो रेट में बढ़ोतरी हो सकती है। एमपीसी की अगली बैठक जून के पहले हफ्ते में होगी।
आरबीआई ने ग्लोबल इकॉनमी के हालात और भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी स्थिति को देखते हुए रेपो रेट पर ब्रेक लगाया है। ग्लोबल इकोनॉमी की तुलना में भारत बेहतर स्थिति में है। भारत के सर्विसेज सेक्टर का प्रदर्शन अच्छा है। डॉलर के मुकाबले गिरने के बाद भी रुपया स्थिर है। देश का बैंकिंग सेक्टर भी बेहतर स्थिति में है। महंगाई पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि अभी लड़ाई जारी है। उन्होंने कहा कि रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला सिर्फ अप्रैल पॉलिसी के लिए है। आने वाले दिनों में स्थिति को देखते हुए हम फैसला लेंगे। यानी उन्होंने बातों-बातों में संकेत दे दिया कि होमबायर्स के लिए खुशी बहुत दिनों की नहीं है। दो महीने बाद आरबीआई एक बार फिर रेपो रेट बढ़ा सकता है।
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। इसके बढ़ने से बैंकों के लिए लागत बढ़ जाती है और वे इसका बोझ ग्राहकों पर डालते हैं। इससे होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं। जब होम लोन सस्ता था तो लोगों ने इसका फायदा उठाते हुए मकान या फ्लैट खरीदे थे। लेकिन अब उनके लिए किस्त चुकाना भारी पड़ रहा है। पिछले एक साल से भी कम समय में होम लोन का इंटरेस्ट रेट 6.7 फीसदी से बढ़ाकर 9.25 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गया है। आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने से बैंकों ने होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे कर दिए हैं।
अमूमन रेपो रेट बढ़ने पर बैंक ग्राहकों की किस्त बढ़ाने के बजाय टेन्योर बढ़ा देते हैं। इसकी वजह यह होती है यह उनका डिफॉल्ट रिस्पांस होता है। रेपो रेट में बढ़ोतरी से ग्राहकों के होम लोन का टेन्योर काफी बढ़ गया है और रिटायरमेंट के बाद भी कई साल तक किस्त चुकानी पड़ेगी। यानी लोन चुकाने में ही उम्र बीत जाएगी। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। अगर किसी ने अप्रैल 2019 में 50 लाख रुपये का ब्याज 6.7 फीसदी के रेट पर लिया था तो उसका लोन मार्च, 2039 में खत्म हो जाता। लेकिन अब उसका रेट 9.25 फीसदी पहुंच चुका है। इस हिसाब से उसका होम लोन नवंबर 2050 में खत्म होगा यानी उसे ओरिजिनल से 132 किस्तें ज्यादा देनी होगी। यानी उसे ओरजिनल टेन्योर से 11 साल ज्यादा किस्त चुकानी पड़ेगी।
टेन्योर बढ़ाएं या किस्त
जानकारों का कहना है कि जब कभी इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंक अमूमन आपकी किस्त नहीं बढ़ाते हैं। वे हर महीने जमा होने वाली ईएमआई में कोई बदलाव नहीं करते हैं बल्कि चुपके से लोन की अवधि बढ़ा देते हैं। यह उनका डिफॉल्ट रिस्पांस होता है। हालांकि आप बैंक जाकर अपनी किस्त बढ़ा सकते हैं। अगर आप इस ऑप्शन को चुनते हैं, तो इससे आपकी मासिक किस्त बढ़ जाएगी। लेकिन आपका मूलधन कम होगा और लोन पर चुकाने वाला कुल ब्याज भी कम होगा। इससे आपका लोन जल्दी खत्म हो जाएगा।