नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पिछले कई साल से एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है। साल 2001 से दोनों देश इकनॉमिक ग्रोथ के मामले में दुनिया में लगातार पहले और दूसरे नंबर पर बने हुए हैं। इस दौरान 23 साल में पहले 17 साल चीन पहले नंबर पर रहा जबकि पांच साल भारत ने बाजी मारी। इस बीच 2014 में मामला टाई रहा और दोनों देशों की इकॉनमी एक बराबर 7.4 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी। कोरोना महामारी के बाद लगातार तीन साल भारत टॉप पर रहा। यह टॉप पर भारत का सबसे लंबा स्पेल है। आईएमएफ (IMF) के आंकड़ों के मुताबिक इस साल भारत कॉन्सटेंट लोकल करेंसी और डॉलर टर्म्स में सबसे तेजी से बढ़ने वाली मेजर इकॉनमी होगी। भारत की जीडीपी के 5.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है जबकि चीन की जीडीपी ग्रोथ 5.2 फीसदी होगी। डॉलर टर्म्स में भारत की जीडीपी ग्रोथ 10.3 परसेंट रहेगी। इसके बाद ब्राजील, इटली और चीन का नंबर होगा। भारत के जीडीपी ग्रोथ में चीन से आगे निकलने का राज कोरोना से मिली मार में छिपा है।
फाइनेंशियल ईयर 2021 से भारत दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही मेजर इकॉनमी बनी हुई है। आईएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में भारत की जीडीपी की रफ्तार 9.1 परसेंट रही और 2022 में यह 6.8 फीसदी रही। 2023 में इसके 5.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है। जब 2020 में कोरोना महामारी (Covid-19 pandemic) ने दुनिया की रफ्तार थाम दी थी तो भारत पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी थी। लेकिन चीन की इकॉनमी साल 2020 में भी ठीकठाक बढ़ी। भारत की जीडीपी में गिरावट से कैल्कुलेशन के लिए बेस कम हो गया और इस आधार पर बाद के वर्षों के लिए उसके ग्रोथ में तेजी आ गई।
लोअर बेस इफेक्ट का जादू
फाइनेंशियल ईयर 2020 में भारत की इकॉनमी में 5.8 फीसदी गिरावट आई जबकि चीन की इकॉनमी 2.2 फीसदी बढ़ी। अगले साल दोनों देशों की इकॉनमी में तेजी आई। चीन की इकॉनमी 8.5 फीसदी बढ़ी जबकि भारत की जीडीपी की रफ्तार 9.1 फीसदी रही। लेकिन 2020 में लोअर बेस के कारण भारत की रफ्तार ज्यादा रही। इस बेस इफेक्ट ने बाद की ग्रोथ कैल्कुलेशन को भी प्रभावित किया। अगर 2019 के ग्रोथ रेट के हिसाब से देखें तो इस अनियमितता को दूर किया जा सकता है। साल 2019 में सबकुछ सामान्य था। 2019 के बाद अगले चार साल चीन का औसत ग्रोथ रेट 4.7 फीसदी रहा जो बड़ी इकॉनमीज में सबसे अधिक है। इस दौरान भारत की औसत ग्रोथ 3.8 फीसदी रही।
अमेरिका के बाद चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है। उसकी इकॉनमी का साइज भारत से पांच गुना अधिक है। डॉलर टर्म्स में देखें तो चीन की रफ्तार भारत से कहीं कम रही लेकिन उसका नेट एडिशन भारत से कहीं अधिक रहा। डॉलर टर्म्स में 10.3 फीसदी ग्रोथ के साथ भारत ने अपनी इकॉनमी में केवल 350 अरब डॉलर जोड़े जबकि चीन ने सात फीसदी ग्रोथ के साथ 1,274 अरब डॉलर जोड़े। भारत को अपनी इकॉनमी में इतनी बड़ी राशि जोड़ने के लिए 37.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ना होगा। बड़ी इकॉनमीज में भारत की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है। चीन की प्रति व्यक्ति आय भारत से पांच गुना अधिक है।
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