बीजिंग : चीन अंटार्कटिका में अपने पांचवें रिसर्च बेस के निर्माण में तेजी ला रहा है जिसके माध्यम से वह अन्य देशों की जासूसी कर सकता है। रॉस सागर के पास इनएक्सप्रेसिबल द्वीप पर स्थित नया स्टेशन, महाद्वीप तक पहुंचने की देश की क्षमता में बढ़ोतरी कर सकता है। शोधकर्ताओं ने पहली बार 2018 में बेस की नींव रखी थी लेकिन अगले कुछ वर्षों में इसका काम रुक गया। जब इस निर्माण की खबर पश्चिमी सरकारों के कान में पड़ी तो उन्होंने ध्रुवीय क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर चिंता जाहिर की।
तेजी से चल रहा निर्माण कार्य
नए प्रोजेक्ट को लेकर सामने आईं हालिया सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि टीमों के पास अब उपकरण की कमी नहीं है और निर्माण कार्य चल रहा है। वॉशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक की ओर से जनवरी में इकट्ठा की गई तस्वीरों से पता चलता है कि निर्माण कार्य चार साल से अधिक समय बाद फिर से शुरू हुआ है। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने नई सुविधाओं, अस्थायी इमारतों और एक हेलिकॉप्टर पैड की पहचान की है।
2024 तक पूरा हो सकता है निर्माण
दावा किया जा रहा है कि पूरा होने पर यह चीन के ज़ुएलॉन्ग आइसब्रेकर जहाजों के लिए एक घाट और सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन के साथ एक ऑब्जर्वेटरी के रूप में काम करेगा। 5000 स्क्वायर मीटर के स्टेशन की एक विशालकाय मुख्य इमारत का जमीनी निर्माण कार्य भी तस्वीरों में देखा जा सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि बेस 2024 तक पूरा हो सकता है। चीन का कहना है कि पांचवें बेस का निर्माण ‘निश्चित रूप से अंटार्कटिका को समझने में उनकी क्षमता को बढ़ाएगा।’