एयर इंडिया (Air India) जब सरकारी कंपनी थी तो इस कंपनी के ढेरों किस्से सुने-सुनाए जाते थे। पायलटों की बात तो पूछिए ही नहीं। अब जबकि यह टाटा ग्रुप (Tata Group) के पास चली गई है, तब भी इसके पुराने कर्मचारी बदलने को तैयार नहीं हैं। ताजा मामला फिर पायलटों का ही है। एयर इंडिया ने हाल ही में पायलटों के लिए नए वेतन ढांचे की घोषणा की है। इसे एयर इंडिया के पालयटों के एसोसिएशंस – इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (ICPA) और इंडियन पायलट्स गिल्ड (IPG) ने खारिज कर दिया है। वहीं एयरलाइन ने इस मसले पर सख्त रूख अपना लिया है। कंपनी ने कहा है कि उनके यहां कोई मान्यता प्राप्त यूनियन है ही नहीं।
विवाद की क्या है जड़
एयर इंडिया के पायलटों के नए वेतन ढांचे में काफी बदलाव किया गया है। लेकिन इसे एयर इंडिया के पुराने पायलट पसंद नहीं कर रहे हैं। बताया जाताा है कि विवाद की प्राथमिक जड़ नए ढांचे के तहत हर महीने उड़ान भत्ते को 70 घंटे से घटाकर 40 घंटे करना है। पायलट इसे अनुचित मान रहे हैं। इन पायलटों से जुड़े दोनों यूनियनों ने एक तरह से चेतावनी दे दी है। इन्होंने कहा है कि यदि एयर इंडिया मैनेजमेंट उनकी सहमति के बिना नई शर्तों के साथ आगे बढ़ता है तो औद्योगिक अशांति फैलेगी।
एयर इंडिया का सख्त रूख
एसोसिएशन भी सक्रिय
पायलट के दोनों एसोसिएशनों ने अपने सदस्यों को नया निर्देश दिया है। यह निर्देश है कि वे प्रबंधन द्वारा पेश की गई नई रोजगार शर्तों और वेतन संरचना को अस्वीकार करें। कर्मचारियों को 25 अप्रैल तक हस्ताक्षर करने के लिए एक समझौता किया गया है, लेकिन दोनों यूनियनों ने कहा है कि वे नियमों और शर्तो का विरोध करेंगे। उनसे जुड़े पायलटों ने संशोधित रोजगार और मुआवजे की शर्तो पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है।