नई दिल्ली: डिविडेंड यील्ड फंड्स धीरे-धीरे निवेशकों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करते जा रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसकी वजह है कि ये निवेशकों के टैक्स बचाने में सहायक होते हैं। साथ ही बाजार की उतार-चढ़ाव वाली स्थितियों में पोर्टफोलियो के निगेटिव साइड को सीमित करने में भी ये सक्षम हैं। Association of Mutual Funds in India (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार, इस कैटिगरी के फंडों ने दिसंबर 2020 को समाप्त 18 महीनों में ₹600 करोड़ के निकासी की तुलना में पिछले ढाई वर्षों में ₹6,542 करोड़ रुपये का निवेश झटका है।
निवेश करना फायदेमंद
टैक्स के बचाने के नजरिए से देखें तो सीधे डिविडेंड का भुगतान करने वाली कंपनियों के शेयर खरीदने की बजाय डिविडेंड यील्ड फंड्स में निवेश करना ज्यादा फायदमेंद है। GEPL Capital में म्यूचुअल फंड्स के हेड रूपेश भंसाली ने कहा कि निवेशकों को मिलने वाले डिविडेंड पर टैक्स की मार्जिनल दर लागू होती है जो टैक्स स्लैब की ऊपरी सीमा में 30% है। इसके अलावा जब म्यूचुअल फंड्स के लिए टैक्स ढांचा अधिक अनुकूल हो तो सरचार्ज भी लग सकता है। भंसाली ने कहा, ‘म्यूचुअल फंड्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी है। यह बात डिविडेंड यील्ड फंड में निवेश को टैक्स बचाने के नजरिये से अधिक अनुकूल बनाती है।’
BPCL, SAIL, BHEL, REC, पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, इंजीनियर्स इंडिया और कोल इंडिया जैसे PSU या तो मुनाफे में आ गए हैं या स्थिर हो गए हैं या फिर मुनाफा बढ़ा रहे हैं। इन्हीं वजहों से इन फंडों का आकर्षण बढ़ा है।
सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले डिविडेंड यील्ड फंड
स्कीम तीन साल पांच साल (CAGR रिटर्न % में)
– ICICI प्रूडेंशियल डिविडेंड यील्ड इक्विटी (G) 34.20 10.65
– टेम्पलटन इंडिया यील्ड इनकम (G) 33.91 13.17
– आदित्य बिड़ला एसएल डिविडेंड यील्ड (G) 26.92 9.19
– सुंदरम डिविडेंड यील्ड (G) 23.64 10.59
– UTI डिविडेंड यील्ड (G) 22.97 10.26
पिछले ढ़ाई वर्षों में इस फंड कैटिगरी में ₹6,542 करोड़ का निवेश आया है