वॉशिंगटन: चीन ने जमीन के साथ-साथ अब अंतरिक्ष में भी दुश्मन पर जोरदार वार करने की तैयारी तेज कर दी है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के लीक हुए गोपनीय दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि चीन का इरादा महाशक्तिशाली साइबर हथियार की मदद से युद्ध के लिए जरूरी कम्यूनिकेशन सिस्टम को ही ठप कर दिया जाए और उसे अपने नियंत्रण में ले लिया जाए। इससे दुश्मन के सैटलाइट युद्ध के दौरान न तो सिग्नल भेज पाएंगे और न ही जासूसी कर पाएंगे। इससे चीन सूचनाओं को अपने कंट्रोल में रखने के मिशन में सफल हो जाएगा।
फाइनेंसियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन का मानना है कि जंग जीतने के लिए सूचनाओं पर कंट्रोल बहुत ही जरूरी है। चीन अगर इस तरह के साइबर हथियार बनाने में सफल रहता है तो वह रूस के यूक्रेन में तैनात किए गए हथियार से आगे निकल जाएगा। रूस ने एलन मस्क के सैटलाइट को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है। इस तरह के हमलों की ताकत को सबसे पहले साल 1980 में विकसित किया गया था। रूस की कोशिश है कि मस्क के धरती की निचली कक्षा में तैनात स्पेसएक्स उपग्रहों के सिग्नल को रोक दे और उसके बदले में ट्रक पर तैनात Tirada-2 जैसे जैमिंग सिस्टम से यूक्रेन के पास मौजूद ग्राउंड टर्मिनल को गलत संदेश भेज दे।
चीन के साइबर हथियार का क्या है प्लान
चीन रूस के इस हथियार से एक कदम और आगे बढ़ते हुए पूरे सैटलाइट पर ही अपना कब्जा करना चाहता है। इसलिए वह साइबर हथियार बना रहा है। चीन की कोशिश है कि साइबर हमले की मदद से अंतरिक्ष में मौजूद सैटलाइट को भेजे जाने वाले दुश्मन के सिग्नल की नकल तैयार कर ले और निर्णायक युद्ध के दौरान इन सैटलाइट को भेजे जा रहे संदेशों में बाधा डाल दे। अमेरिकी दस्तावेज से खुलासा हुआ है कि इस साइबर क्षमता से चीन एक सैटलाइट को अपने कब्जे में कर लेगा और दुश्मन के लिए कम्यूनिकेशन कर पाना, हथियार या जासूसी करना असंभव हो जाएगा।
अमेरिका ने अभी तक यह नहीं बताया है कि उसके पास ऐसी क्षमता है या नहीं। यूक्रेन युद्ध में एलन मस्क के सैटलाइट कम्यूनिकेशन की सफलता के बाद अब ताइवान भी इसी तरह के कम्युनिकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर को बनाने में जुट गया है जो चीन के हमले में भी बचा रहे। इससे वह आसानी से न केवल अपनी सेना बल्कि अमेरिका के साथ भी तत्काल संपर्क कर सकेगा जो उसका सबसे बड़ा सहयोगी देश है। ताइवान ने इसके लिए अपने प्रयोग शुरू कर दिए हैं।
रूस ने तबाह कर दिए यूक्रेन के अमेरिकी राउटर्स
बता दें कि जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, उससे कई घंटे पहले रूसी सेना ने साइबर हमला करके यूक्रेनी सेना के सैन्य राउटर्स को बेकार कर दिया था। इन राउटर्स को अमेरिकी कंपनी ने बनाया था। यूक्रेन ने इस हमले को तबाही करार दिया था। इससे यह भी साबित हो गया कि सैटलाइट कम्यूनिकेशन अब कितना जरूरी हो गया है। यही नहीं इन हमलों ने पोलैंड, इटली और जर्मनी में राउटर्स को खराब कर दिया था। अमेरिकी सेना के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि चीन सैन्य स्पेस तकनीक में बहुत आगे निकल गया है। इसमें सैटेलाइट कम्यूनिकेशन भी शामिल है।
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