नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर मंगलवार सुनवाई चौथे दिन भी हुई। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud), न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा कोर्ट रूम में मौजूद रहे जबकि न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एस आर भट ने ऑनलाइन जुड़े। न्यायमूर्ति भट शुक्रवार को कोविड-19 (Covid 19) से संक्रमित पाए गए। इसलिए वे वर्चुअल तरीके से शामिल हुए। सुनवाई के चौथे दिन याचिकाकर्ताओं की ओर से कई दलीलें पेश की गई। इनकी ओर से कहा गया है कि कई दूसरे देशों में मान्यता है। समलैंगिक कपल को मान्यता न होने की वजह से कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील की ओर से इस तरह की कुछ केस स्टडी को सामने रखा गया और यह बताया गया कि ऐसा न होने से कितनी दिक्कत है। केंद्र ने काउंटर एफिडेविट को लेकर भी सवाल उठाए गए जिसमें कहा गया है कि अंग्रेजों के आने से पहले सेम सेक्स रिलेशन नहीं थे। इसे गलत बताया गया और कहा गया कि पहले भी ऐसा होता था और प्राचीन ग्रंथों में भी लिखा है। अंग्रेजों के आने के बाद हमारे भीतर ट्रांसजेंडर्स के प्रति नफरत आ गई। चौथे दिन की सुनवाई में पेश प्रमुख दलीलें-
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 20 अप्रैल को सुनवाई में कहा था कि सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बाद वह अगले कदम के रूप में शादी की विकसित होती धारणा को फिर से परिभाषित कर सकता है। पीठ इस दलील से सहमत नहीं थी कि विषम लैंगिकों के विपरीत समलैंगिक जोड़े अपने बच्चों की उचित देखभाल नहीं कर सकते। मामले में चौथे दिन सुनवाई बहाल होने पर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने दलीलें रखीं। सीनियर एडवोकेट गीता लूथरा ने एक याचिकाकर्ता के बारे में बताया। दोनों ने अमेरिका में शादी की, उनकी चार महीने की बेटी है। भारत में उनके अधिकारों को मान्यता नहीं मिली है। कोविड के वक्त भारतीय परिवारों को वीजा जारी किए गए थे लेकिन याचिकाकर्ताओं को वीजा भी नहीं दिया गया, वे अपनी शादी फॉरेन मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर कराना चाहते थे।
लूथरा ने कहा कि यदि कपल में से एक भी भारतीय हो तो यह कानून लागू होता है। सीनियर एडवोकेट गीता लूथरा ने कहा कि किसी समलैंगिक कपल की शादी इस वजह से अमान्य नहीं करार दी जा सकती कि वे ऐसे देश में आ गए हैं जहां मान्यता नहीं है। यह लिंग के आधार पर भेदभाव है। वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कहा कि जी20 के 12 देशों ने सेम सेक्स मैरिज की अनुमति दे रखी है। हम पीछे नहीं रह सकते। एक व्यक्ति की ही बात क्यों न हो हम उनसे अधिकार छीन नहीं सकते। इन अधिकारों में वीजा, पासपोर्ट और भारत में रहने का अधिकार शामिल हैं और उत्तराधिकार का अधिकार भी।
सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर ने केंद्र ने काउंटर एफिडेविट पर कहा कि यह गलत है कि अंग्रेजों के आने से पहले सेम सेक्स रिलेशन नहीं थे। पहले भी ऐसा होता था और प्राचीन ग्रंथों में भी लिखा है। अंग्रेजों के आने के बाद हमारे भीतर ट्रांसजेंडर्स के प्रति नफरत आ गई। हम ट्रांसजेंडर्स को दूसरे नामों से बुलाते थे। भगवान राम वनवास पर जा रहे थे तो उनके पीछे अयोध्या की प्रजा भी चलने लगी। उन्होंने पीछे आ रहे लोगों से कहा कि आप वापस लौट जाइए। सब चले गए मगर वो नहीं गए।
पति और पत्नी की जगह स्पाउस कर दें
सीनियर एडवोकेट डॉ मेनका गुरुस्वामी के सबमिशंस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मौखिक टिप्पणी की। उन्होंने पूछा कि अगर हम (स्पेशल मैरिज एक्ट में) मैन और वुमन की जगह पर्सन कर दें और पति और पत्नी की जगह स्पाउस कर दें तो क्या हम वहीं पर रुक जाएंगे। यदि दो हिंदू पुरुष या दो हिंदू महिलाएं शादी करें तो इंटरस्टेट सक्सेशन में क्या होगा। जब एक महिला की मौत होती है तो लाइन ऑफ सक्सेशन अलग होता है, तो जहां परिवार की डिग्निटी और अधिकार का सवाल है, मैं समझता हूं। मुश्किल ये है कि क्या हम कह सकते हैं कि ये काफी है और इससे आगे नहीं जाएंगे।