नई दिल्ली: भारी कर्ज में डूबे अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) की बुधवार को दूसरे दौर की नीलामी हुई। इसमें केवल एक ही कंपनी ने बोली लगाई। हिंदूजा ग्रुप ने इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (IndusInd International Holdings) के जरिए रिलायंस कैपिटल के लिए 9,650 करोड़ रुपये की बोली लगाई। इससे एलआईसी (LIC) समेत रिलायंस के कर्जदारों को भारी नुकसान होना तय है। इसकी वजह यह है कि कंपनी की लिक्विडेशन वैल्यू 12,500 करोड़ रुपये मानी जा रही है। रिलायंस कैपिटल पर एलआईसी का 3,400 करोड़ रुपये का कर्ज है। एडमिनिस्ट्रेटर ने रिलायंस कैपिटल के फाइनेंशियल क्रेडिटर्स का 25,000 करोड़ रुपये के दावों को स्वीकार किया है। ईपीएफओ (EPFO) ने रिलायंस कैपिटल के बॉन्ड प्रोग्राम में 2500 करोड़ रुपये निवेश किए थे।
नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी होने के साथ-साथ रिलायंस कैपिटल अनिल अंबानी के फाइनेंशियल सर्विसेज बिजल के लिए होल्डिंग कंपनी भी थी। रिलायंस कैपिटल में करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और एक एआरसी शामिल है। आरबीआई ने भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग (insolvancy proceeding) शुरू की थी। सेंट्रल बैंक ने नागेश्वर राव को कंपनी का एडमिनिस्ट्रेटर बनाया था। कंपनी के दिवालिया होने के बाद उसमें सबसे वैल्यूएबल एसेट्स जनरल इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां ही रह गई हैं।
कोर्ट ने क्या कहा
इंश्योरेंस इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि इंश्योरेंस कंपनियों में रिलायंस कैपिटल की होल्डिंग की कीमत 10,000 करोड़ रुपये से अधिक है लेकिन बैंकरप्सी से पैदा हुए मुश्किलों के कारण इनकी वैल्यूएशन में कमी आई है। बुधवार की नीलामी में टॉरेंट ग्रुप ने हिस्सा नहीं लिया। पहले राउंड में उसके 8,640 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। इसके बाद उसने दूसरे दौर की बोली रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। फरवरी में एनसीएलटी ने टॉरेंट को सबसे बड़ा बिडर करार दिया था। उसका कहना था कि हिंदूजा ने प्रोसेस खत्म होने के बाद बोली लगाई थी और इसलिए वह अवैध है।
एलआईसी का कितना कर्ज
सितंबर, 2021 में रिलायंस कैपिटल ने अपने शेयरहोल्डर्स को बताया था कि कंपनी पर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज है। कंपनी पर एलआईसी (LIC) का सबसे ज्यादा कर्ज है। एलआईसी ने 3400 करोड़ रुपये का दावा किया है। जनवरी 2022 में एडमिनिस्ट्रेटर ने रिलायंस कैपिटल के फाइनेंशियल क्रेडिटर्स का 25,000 करोड़ रुपये के दावे स्वीकार किए थे। दिसंबर, 2021 में सरकार ने संसद में बताया था कि ईपीएफओ ने रिलायंस कैपिटल में 2,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है। कंपनी ने अक्टूबर 2019 से इंटरेस्ट के भुगतान में डिफॉल्ट किया था। नवंबर, 2021 तक कंपनी ने एनसीडी पर ब्याज के रूप में 534.64 करोड़ रुपये का बकाया था।