नई दिल्ली: अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने 24 जनवरी को अडानी ग्रुप (Adani Group) के बारे में एक निगेटिव रिपोर्ट जारी की थी। इसमें ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Adani Group) के बड़े भाई विनोद अडानी (Vinod Adani) का नाम सबसे ज्यादा बार आया था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि विदेश में रहने वाले विनोद अडानी ने अडानी ग्रुप में कथित फ्रॉड के लिए ऑफशोर कंपनियों के एक नेटवर्क का इस्तेमाल किया था। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विनोद अडानी ने फरवरी में तीन कंपनियों के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। ये कंपनियां ऑस्ट्रेलिया में अडानी परिवार की कोल माइन से जुड़ी हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप ने शेयरों की कीमत के साथ छेड़छाड़ की है। हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया लेकिन इस रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप के शेयरों में एक महीने से अधिक समय तक भारी गिरावट आई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। लेकिन उससे कुछ दिन पहले ही विनोद अडानी ने तीन कंपनियों के डायरेक्टर पद छोड़ दिया था। इनमें कार्मिकेल रेल एंड पोर्ट सिंगापुर, कार्मिकेल रेल सिंगापुर और एबट पॉइंट टर्मिनल एक्सपेंशन शामिल हैं। हालांकि वह सिंगापुर स्थित कंपनी एबट पॉइंट पोर्ट होल्डिंग्स के बोर्ड में बने हुए हैं।
क्या हैं आरोप
इस बीच मार्केट रेगुलेटर सेबी इस बात की जांच कर रहा है कि अडानी ग्रुप और विनोद अडानी के बीच हुए कुछ ट्रांजैक्शंस के बारे में सही ढंग से खुलासा किया गया था या नहीं। अडानी ग्रुप के एक प्रतिनिधि ने कहा कि विनोद अडानी ग्रुप की कुछ कंपनियों में शेयरहोल्डर हैं लेकिन कार्मिकेल माइन के विकास या उससे जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर में उनका कोई मैनेजमेंट रोल नहीं है। विनोद अडानी के इस्तीफे के बारे में अडानी ग्रुप ने सवालों का जवाब नहीं दिया। विनोद अडानी ने भी उन्हें ईमेल से भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि विनोद अडानी ने दर्जनों शेल कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप के अरबों डॉलर को आरपार किया था।