इस्लामाबाद: पाकिस्तान की मुद्रास्फीति श्रीलंका से आगे निकल गई है, जो एशिया में अब तक की सबसे ज्यादा तेज है। इस साल पाकिस्तानी रुपए में डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसके कारण पाकिस्तान में खाने पीने और ऊर्जा महंगी हुई है। मंगलवार को ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की तुलना में अप्रैल में उपभोक्ता कीमतों में 36.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो 1964 के बाद सबसे ज्यादा है। पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों से पता चला है कि परिवहन की कीमतों में 56.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुए है।
पाकिस्तान के आर्थिक हालात खराब
पाकिस्तानी रुपए के लगातार गिरने से सामान का आयात करना और भी महंगा होता जा रहा है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि उसे आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर का ऋण मिलेगा। लेकिन इस ऋण के लिए लगाई गई शर्तों के कारण महंगाई के और भी ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है। पाकिस्तान को अगर डिफॉल्ट होने से बचना है तो उसे बेलआउट फंड की जरूरत पड़ेगी। आर्थशास्त्री अंकुर शुक्ला के मुताबिक पाकिस्तान स्टेट बैंक आने वाले दिनों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। उनके मुताबिक मई में महंगाई चरम पर होगी और फिर धीरे-धीरे चीजें कुछ सस्ती होंगी।
दबाव में शहबाज शरीफ
पाकिस्तान में आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक अस्थिरता भी देखने को मिल रही है। यही कारण है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ लगातार दबाव में हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के चेयरमैन इमरान खान ने जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है। इमरान ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान में जल्द से जल्द चुनाव नहीं कराए जाते तो श्रीलंका से भी ज्यादा खराब स्थिति हो जाएगी। इसके साथ ही जनता भी सड़कों पर उतर सकती है।