नई दिल्ली: सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण में सुप्रीम कोर्ट की सहायता करने के लिए उसकी ओर से नियुक्त न्याय मित्र ने एक अनुरोध किया। न्याय मित्र ने कहा कि इन लोगों के खिलाफ लंबित मामलों की त्वरित सुनवाई के वास्ते शीर्ष न्यायालय निर्देश जारी करे। साथ ही, न्याय मित्र ने शीर्ष न्यायालय से हाई कोर्ट को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया कि सांसदों/विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतों में जरूरी न्यायाधीशों की संख्या की समीक्षा की जाए।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि उच्च न्यायालय विशेष अदालतों के पीठासीन अधिकारियों का तभी तबादला कर सकता है, जब प्रस्ताव को संबद्ध उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की मंजूरी मिल गई हो। अधिवक्ता स्नेहा कलिता के मार्फत दाखिल की गई रिपोर्ट में कहा गया है, ”उक्त पद पर शीघ्र ही एक अन्य न्यायिक अधिकारी को पदस्थ किया जाना चाहिए और यह पद खाली नहीं रहना चाहिए। अंतिम फैसला सुनाने के लिए मुकदमे में दलीलें पूरी हो जाने के बाद तबादले के समय मामला लंबित नहीं हो।”
रिपोर्ट में किया गया यह दावा
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 11 अप्रैल को दाखिल एक हलफनामे में कहा था कि वह ‘कनेक्टिविटी’, लैपटॉप, बिजली गुल होने पर वैकल्पिक व्यवस्था, सुरक्षा सुविधाएं आदि के अभाव से जुड़े मुद्दों का सामना कर रहा है। इसके चलते सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में देर हुई है। इसमें कहा गया है कि उपयुक्त सरकार की मंजूरी के बाद ही उच्च न्यायालय विशेष अदालत भवनों के निर्माण/मरम्मत/जीर्णोद्धार परियोजनाओं पर आगे बढ़ सकता है।