सुदीप्तो सेन की हाल ही रिलीज हुई ‘द केरल स्टोरी’ पर जमकर बवाल हो रहा है। चंद बॉलीवुड हस्तियों को छोड़ दें तो अभी तक इस फिल्म और बवाल पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री ने चुप्पी साध रखी है। हाल ही शबाना आजमी, कंगना रनौत और खुशबू सुंदर ने उन लोगों के खिलाफ आवाज बुलंद की, जो ‘द केरल स्टोरी’ पर बैन की मांग कर रहे हैं। लेकिन अब एक्टर मनु ऋषि का रिएक्शन आया है। उन्होंने बॉलीवुड सितारों की चुप्पी पर कमेंट किया है। मनु ऋषि का कहना है कि जो भी लोग अभी तक बैन के खिलाफ चुप्पी साधे हुए हैं, वो देर-सबेर जरूर बोलेंगे।
‘कला को बैन नहीं करना चाहिए’
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ से बात करते हुए मनु ऋषि ने ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फिल्मों पर लगातार बैन की मांग पर रिएक्ट किया। उन्होंने कहा, ‘इसका जवाब एक इंसान के तौर पर देना चाहता हूं कि किसी भी कला को बैन नहीं किया जाना चाहिए। अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक नहीं लगनी चाहिए। इसके लिए दर्शकों और इंडस्ट्री के लोगों के बीच स्वीकार्यता होनी चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि मैं चूंकि ऐसा नहीं हूं तो मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। हम ऐसे किरदार भी निभाते हैं जो हमसे बहुत अलग होते हैं।’
‘क्या बैन करने वाले चेहरों को जानते हैं?’
मनु ऋषि ने आगे कहा, ‘हर कोई अहमियत चाहता है। जब कोई बैन की मांग वाला प्लेकार्ड लेकर खड़ा होता है तो उसे भी एक-दो मिनट के लिए कुछ अहमियत मिल जाती है। लेकिन क्या हम इन चेहरों को जानते हैं? या ये सोशल मीडिया पर बॉट्स या फर्जी यूजर्स हैं? क्या ये बैन प्रभावी हैं? क्या हमने ऐसी फिल्में बनाना बंद कर दिया है? हमारे बड़े-बड़े नेता भी कह रहे हैं कि यह ड्रामा बंद करो। धीरे-धीरे वो समझ जाएंगे कि वो शक्तिशाली हैं और उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करनी चाहिए।’
‘बैन की मांग करने वालों को महत्व क्यों?’
मनु ऋषि बोले, ‘कोई भी ‘बैन’ सुनने की परवाह नहीं करता। ‘पठान’ इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। जब इस तरह की बात का कोई महत्व नहीं है, तो हम इसके बारे में बात ही क्यों करें? बैन की मांग करने वाले को महत्व क्यों दिया जाए? कुछ सेंसर बोर्ड के हिसाब से बनता है और कुछ बगावत के लिए। ऐसे तमाम अधिकार हमारे पास होने चाहिए और इसे कहते हैं बोलने की आजादी। अगर कोई हमें रोकने की कोशिश कर रहा है, तो हमें लड़ते रहना चाहिए। या तो हम डर जाएंगे या मर जाएंगे। लेकिन हम बोलते रहेंगे। हम मर जाएंगे लेकिन हम बोलते रहेंगे। अगर हम नहीं बोलेंगे, तो हमारी अगली पीढ़ी बोलेगी। जो लोग आज बैन की मांग कर रहे हैं, एक दिन आएगा जब वो बैन नहीं करने को कहेंगे। हम सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, हमें उनके गुस्से का भी सम्मान करना चाहिए। वो अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल कर रहे हैं। जो बैन की मांग कर रहे हैं, उन्हें करने दीजिए। हम इन बॉट्स को खुद पर हावी नहीं होने देंगे। यह कोई नई बात नहीं है, कुछ लोग हमेशा हर युग में बादशाह के खिलाफ शोर मचाते हैं।’
‘जो आज चुप हैं, कल जरूर बोलेंगे’
मनु ऋषि से जब यह पूछा गया कि ‘द केरल स्टोरी’ को लेकर हुए विवाद पर फिल्म इंडस्ट्री का बड़ वर्ग एकदम चुप है। क्या यह सही है? तो वह बोले, ‘मैं इसके बारे में बात कर रहा हूं। जो नहीं कर रहे हैं, वह उनकी मर्जी है। जो चुप हैं, इसका मतलब ये नहीं कि वो कल नहीं बोलेंगे। क्योंकि अगर बैन की परिभाषा व्यापक होती है, तो कैमरामैन से लेकर फिल्म संपादक तक, पूरी इंडस्ट्री बोल उठेगी, हर कोई बोलेगा। मैं वादा करता हूं कि जो चुप हैं, वो कल इसके खिलाफ बोलेंगे।’
क्या है ‘द केरल स्टोरी’ की कहानी
‘द केरल स्टोरी’ सच्ची घटना पर आधारित होने का दावा करती है। इसमें बताया गया है कि केरल में 32 हजार हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन किया गया था और फिर वो आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल हो गई थीं। इसी पर विवाद चल रहा है। फिल्म 5 मई को थिएटर्स में रिलीज हुई थी। ‘द केरल स्टोरी’ में अदा शर्मा, योगिता बिहानी, और सोनिया बलानी जैसी हीरोइनें हैं।