नई दिल्ली: अपने देश में अक्सर बातें होती रहती हैं कि लैपटॉप हो या बल्ब, चीन में बना होगा। कुछ लोग सवाल उठाते हैं तो कुछ इस पर निराशा भी जाहिर करते हैं। सड़क से लेकर घर में सोफे के बगल चमचमाती कलाकृति भी आपको चीन में बनी मिल जाएगी। ऐसे में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने साफ कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति चीन की कार्यकुशलता पर हासिल नहीं की जा सकती है। उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए सशक्त घरेलू वेंडर चेन बनाने पर जोर दिया। भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत की किताब ‘मेड इन इंडिया: बिजनस और एंटरप्राइज के 75 साल’ की लॉन्चिंग के मौके पर जयशंकर ने चीन को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि समाधान के लिए हमें चीन की तरफ देखना बंद कर देना चाहिए। अगर हम अपनी अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं तो हमें देश में वेंडर चेन खड़ी करनी होगी, जो एक मैन्युफैक्चरिंग इकॉनमी करती है।’ उन्होंने आगे कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) देश में मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाने का ही एक प्रयास है।
जयशंकर ने कहा कि अर्थव्यवस्था को खोलने और वैश्वीकरण के नाम पर हमें इस देश में औद्योगीकरण समाप्त नहीं करना चाहिए। हमें देश में दूसरों को कमाने के लिए समान अवसर भी उपलब्ध नहीं कराना चाहिए क्योंकि यह इकॉनमिक सुसाइड होगा। हमें इस बात पर स्पष्ट होने की जरूरत है कि हर देश को अपने मैन्युफैक्चरर और अपने बिजनस को सपोर्ट करना है। हमें हमारे देश में दूसरों के बिजनस को लाभ कमाने की खुली छूट नहीं देनी चाहिए।