नई दिल्ली : शेयर बाजार (Share Market) में जारी अस्थिरता और कम होते रिटर्न को देखते हुए इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund) की ओर निवेशकों का मोहभंग होता दिख रहा है। यही वजह रही कि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश अप्रैल, 2023 में इससे पिछले महीने की तुलना में 68 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 6,480 करोड़ रुपये रह गया। मार्च में इस कैटिगरी में 20,534 करोड़ रुपये का इनफ्लो दर्ज किया गया था। इतना ही नहीं SIPs में भी थोड़ी गिरावट दर्ज हुई।
41.61 लाख करोड़ रुपये रहा एयूएम
असोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के डेटा के अनुसार टोटल असेट अंडर मैनेजमेंट 41.61 लाख करोड़ रुपये का रहा। जबकि मार्च में यह 39.42 लाख करोड़ रुपये का था। इस दौरान निवेशकों ने विभिन्न इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस में पैसा लगाने को लेकर ‘देखो और इंतजार करो’ का रुख अपनाया। कुल मिलाकर, 42 कंपनियों वाले म्यूचुअल फंड उद्योग में अप्रैल में 1.21 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने से इसमें जबर्दस्त सुधार भी देखने को मिला। इक्विटी फंड्स कैटिगरी में सबसे ज्यादा 2,182 करोड़ रुपये का इन्फ्लो स्मॉलकैप फंड्स में आया। उसके बाद मिडकैप फंड्स में 1,791 करोड़ रुपये का इन्फ्लो दर्ज किया गया।
डेट फंड्स में बड़े पैमाने पर निवेश
वहीं अप्रैल में डेट फंड्स में निवेशकों ने बड़े पैमाने पर निवेश किया। मुख्य रूप से बॉन्ड आधारित योजनाओं में भारी निवेश देखने को मिला है। इन योजनाओं में मार्च में 56,884 करोड़ रुपये की निकासी के बाद अप्रैल में 1.06 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है।
डेट फंड्स के बेहतरीन प्रदर्शन (रुपये में)
लिक्विड फंड्स: 63,219 करोड़
मनी मार्केट फंड्स : 13,961 करोड़
ओवरनाइट फंड्स : 6,107 करोड़
FDs को तरजीह दे रहे रईस लोग
हालिया टैक्स में हुए बदलाव और बढ़ती ब्याज दरों के कारण भारत में हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) डेट म्यूचुअल फंड की बजाय बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को तरजीह दे रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार म्यूचुअल फंड जिस तेजी से कमोडिटाइज होते जा रहे हैं, उसे देखते हुए HNIs की प्राथमिकता में AIFs और PMS भी हैं। मोतीलाल ओसवाल इंस्टिट्यूशनल इक्विटी के हेड ऑफ BFSI नितिन अग्रवाल ने बताया कि पिछले एक साल में बैंक डिपॉजिट्स पर इंटरेस्ट रेट तेजी से बढ़ा है और ऐसे में HNIs डेट म्यूचुअल फंड की बजाय FD की तरफ मुड़े हैं। वहीं HNIs कम रिटर्न के चलते SIPs(सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेश बनाए रखने में विफल रहे।