दीपावली का त्योहार बीतते ही लोगों के स्वाद में हरी भरी मटर का जायका जुड़ जाता है, लेकिन अभी आवक कम होने से मटर हरी की जगह लाल हो रही है। मतलब, सब्जी मंडी में मटर के दाम खोया (मावा) को फेल कर रहे हैं। सब्जी मंडी में एक किलो मटर 200 से 240 रुपए में बिक रही है। मटर को अभी बाजार में आए पांच से छह ही दिन हुए हैं। मंडी की नब्ज समझते वालों की मानें तो अभी अंचल (लोकल) की मटर की आवक नहीं हो रही है, इसलिए शिमला से मटर आ रही है।
यही कारण है कि मटर, भाड़ा जुड़ने के बाद उसकी कीमत आसमान छू रही है। चार से पांच दिन पहले यही मटर 300 रुपए प्रतिकिलो बिक रही थी। जैसे-जैसे दिन गुजरते जाएंगे और अंचल के डबरा, चीनोर, पनिहार बेल्ट से मटर की आवक शुरू हो जाएगी, तो मंडी में मटर के दाम गिरते चले जाएंगे।
शहर की मंडी में अभी शिमला से आ रही मटर
छत्री मंडी सब्जी मंडी में कारोबार करने वाले राजीव और शाहरूख का कहना है कि अभी स्थानीय खेतों की मटर मंडी में नहीं आ रही है। अभी मटर को पकने में करीब 35 से 40 दिन लगेंगे। कुछ जगह से दिसंबर के पहले सप्ताह तक मटर आने लगेगी। अभी शिमला की मटर ग्वालियर की मंडी में आ रही है। मटर वैसे ही सीजन की शुरुआत के दौर में है।
साथ ही, शिमला से ग्वालियर की मंडी तक आने में लगने वाला भाड़ा उसे और अधिक महंगा कर देता है। अभी शिमला की मटर जो बाजार में हैं उसकी कीमत 200 रुपए से 240 रुपए प्रति किलो बिक रही है। जैसे-जैसे स्थानीय मंडी से आवक शुरू हो जाएगी तो यह मटर के दाम तेजी से नीचे गिरने लगेंगे।
दीपावली पर 300 रुपए बिक चुकी है
मटर को मार्केट में आए भी 6 से 7 दिन ही हुए हैं। दीपावली पर यह मटर 300 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रही थी। मतलब, दीपावली पर खोया (मावा) बाजार में 270 से 280 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रहा था, लेकिन मटर उस पर भारी पड़ रही थी। पर छह दिन में ही वह 300 से उतरकर 220 से 240 रुपए प्रति किलो पर आ गई है।
दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक आएगी अंचल की मटर
ग्वालियर के आसपास मटर डबरा, चीनोर, भितरवार, पनिहार, घाटीगांव के बेल्ट में होती है। इस समय यहां मटर बोई जा चुकी है। उसके पकने और मंडी तक आने में 25 से 30 दिन लगेंगे। मतलब नवंबर के आखिरी तक स्थानीय खेतों की मटर सब्जी मंडी में आना शुरू हो जाएगी। उसके बाद यही मटर 20 से 25 रुपए प्रति किलो पर आ जाएगी। तब यही मटर आम और खास की थाली का जायका बनेगी।
मटर को पकने में लगते हैं 50 से 55 दिन, आवक पर असर नहीं
कृषि के जानकार रामसिंह तोमर ने बताया कि मटर को पकने में 50 से 55 दिन लगते है। अभी मटर बोई जा रही है। इसको पकड़े में समय लगेगा। अभी जो मटर बोई जा रही है वह दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक आ जाएगी। उसके बाद ही मटर की कीमत गिरेगी। अभी हुई बारिश के कारण मटर को बोने में 8 ये 10 दिन की देरी हुई है। वरना नवंबर के आखिरी सप्ताह तक स्थानीय मंडी की मटर आ सकती थी। बारिश से आवक पर कोई असर नहीं पड़ेगा। आगे मौसम पर निर्भर करेगा कि कितनी पैदावार होती है।