सीतापुर : तराई इलाके के लोगों को इन दिनों कई समस्याओं से एक साथ निपटना पड़ रहा है। बाढ़, कटान और जंगली जानवरों के हमलों से जूझ रहे तराई में अब डेंगू ने भी दस्तक दे दी है। बिसवां तहसील में डेंगू के दो मरीजों की पहचान हुई है, जिनका इलाज लखनऊ के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। इलाके के 70 से अधिक गांव संक्रामक रोगों की चपेट में हैं।
विगत दिनों शारदा और घाघरा नदियों में आई बाढ़ के चलते तराई इलाके के 75 से अधिक गांवों में पानी भर गया था। नदियाों को जलस्तर घटने से तमाम गांवों से पानी उतर गया है। वहीं कुछ गांवों में अभी जलभराव की स्थिति बनी है। कीचड़ बाढ़ प्रभावित सभी गांवों में फैला है।
रामलालपुरवा, गौलोकगोडर, सोमवारीपुरवा, चहलारी, बसंतापुर, दूलामऊ, गुरगुचपुर, लालपुर, खानी हुसैनपुर, नसीरपुर कोड़र, म्योड़ी छोलहा, ताहपुर बजहा, कनकारी, रेउसा, कनरखी, अंगरौरा आदि गांवों में संक्रामक रोगों ने पांव पसार लिया है। कनकारी के अजय पांडेय और रेउसा के अखिलेश वाजपेयी को पिछले कई दिनों से बुखार आ रहा है। उनकी जांच रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई है। दोनों का इलाज जनता सेवा अस्पताल लखनऊ में चल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग बरत रहा ढिलाई : तराई के गांव इन दिनों संक्रामक रोगों से कराह रहे हैं। हर दूसरे घर में कोई न कोई बुखार से पीड़ित है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग सक्रिय नहीं हुआ है। विभाग अभी तक सभी प्रभावित गांवों में छिड़काव नहीं करवा पाया है। इसके अलावा स्वास्थ्य टीमें भी शिथिलता बरत रही हैं।
झोलाछाप कर रहे इलाज
तराई इलाके में संक्रामक रोग बढ़ने के साथ ही झोलाछाप सक्रिय हो गई हैं। गलत इलाज करके लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। स्वास्थ्य की विभाग की ओर से इलाज न मिलने के चलते पीड़ितों को मजबूरी में झोलाछाप को दिखाना पड़ रहा है। झोलाछाप मानमाना पैसा भी ले रहे हैं।
बाढ़ प्रभावित इलाके पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्वास्थ्य टीम भ्रमणशील रहकर पीड़ितों को इलाज उपलब्ध करा रही हैं। डेंगू के दस्तक की जानकारी मिली है। सतर्कता और बढ़ाई जाएगी।
-डा. हरपाल सिंह, सीएमओ, सीतापुर।