देवउठनी एकादशी 4 नवंबर से शादियों की धूम मच जाएगी। यह सिलसिला जून अंत तक चलेगा। इस बार 8 महीने में 50 श्रेष्ठ मुहूर्त हैं। लेकिन पाती के लगन, जैन और सिख समाज की परंपराओं से होने वाले विवाहों का सिलसिला लगातार चलेगा। देवउठनी एकादशी को अबूझ मुहूर्त में सामूहिक विवाहों के अलावा उन जोड़ों का पाणिग्रहण होगा जिनकी राशि से शादी की तारीख नहीं मिल रही।
देवउठनी एकादशी 4 नवंबर को है। इसके साथ ही शहनाइयों की गूंज शुरू होगी। ज्योतिषियों के अनुसार आगामी देवशयनी एकादशी के पहले 28 जून 2023 तक शादियां चलेंगी। सनातनी पंचांगों के अनुसार 4 नवंबर के बाद 26 नवंबर को दोपहर शुक्र उदय होने के बाद शादी के आयोजनों की संख्या बढ़ेगी। पिछले दो साल के मुकाबले इस बार कम मुहूर्त हैं।
2020-21 में 59 मुहूर्त थे तथा 2021-22 में 65 मुहूर्तों में शादियां हुईं थी। सिख समाज के समाजसेवी जसमिंदरसिंह ठकराल के अनुसार सिख समाज में केवल श्राद्धपक्ष और शहीदी पर्वों पर शादी नहीं होती। नवंबर में भी अनेक शादियां होंगी।
जैन समाज के समाजसेवी जम्बू जैन धवल का कहना है कि नवंबर में अनेक शादियां होंगी। 1 नवंबर के बाद जैन समाज में 1 से 8 तक अष्टान्हिका पर्व, 9 को सर्वार्थ सिद्धि, 14 व 15 को पुष्य नक्षत्र, 20 को सर्वार्थ व अमृत सिद्धि, 29 को द्विपुष्कर योग हैं।
मई 2023 में सबसे ज्यादा 17 विवाह के मुहूर्त
शुक्र उदय के बाद बढ़ेंगे आयोजन देवउठनी एकादशी पर शुक्र अस्त लेकिन अबूझ मुहूर्त की शादियां होंगी। ज्योतिषियों का कहना है शुक्र के अस्त होने से 4 नवंबर के बाद 26 नवंबर से शादियों के मुहूर्त शुरू होने से शादी के आयोजनों की संख्या बढ़ेगी। नवंबर दिसंबर में केवल दो-दो मुहूर्त ही हैं।
गुरु के कारण कन्याओं के विवाह में दोष नहीं
पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार के अनुसार गुरु स्वयं की राशि में उदित है। इस कारण कन्याओं को गुरु बल रहेगा। जिनके 4, 8 वें, 12 वें गुरु उन्हें भी दोष नहीं रहेगा। कन्या के विवाह के लिए गुरु, बालक के विवाह के लिए सूर्य देखा जाता है।