सम्मान के बदला अपमान क्यों ?
मामला मधेपुर भू- दाता का
प्रदीप कुमार नायक
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
जिन्दगी को लोग अपने-अपने मिजाज से जीते हैं।कोई खुद के लिए जीता हैं, तो कोई समाज और देश के लिए।जो खुद के लिए जीता हैं दुनियां उसको नोट्स नहीं करती हैं।लेकिन जो दूसरों के लिए जीता हैं दुनियां उसे सलाम करती हैं।समाज उस व्यक्ति को महामानव की पंक्ति में खड़ा कर देता हैं।दुनियां उसे हीरो मानने लगती हैं।इस प्रकार के व्यक्ति दुसरो के लिए प्रेरणास्रोत का काम भी करते हैं।ऐसे कुछ नाम हैं जिनकी पहचान एक आदर्श समाजसेवी के रूप में की जाती हैं।इनमें से एक हैं मधुबनी जिला अंतर्गत मधेपुर प्रखंड तथा बाजार के ख्याति प्राप्त समाजसेवी सत्य नारायण अग्रवाल।वे अपने क्षेत्र में रहकर समाज सेवा कर रहे हैं।जिन्होंने मधुबनी जिला को अपना कर्म क्षेत्र बना रखा हैं।
दूसरी ओर एक कहावत काफी प्रचलित हैं कि “माल महाराज का,मिर्जा खेले होली” ठीक इसी लोकोक्ति को चरितार्थ करते हुए मधुबनी जिला अंतर्गत मधेपुर प्रखंड में प्रशासनिक अधिकारी द्वारा एक खेल खेला जा रहा हैं।
यहाँ हम बताते चले कि समाजसेवी सत्य नारायण अग्रवाल ने मधुबनी जिले के मधेपुर प्रखंड अंतर्गत बसीपट्टी मध्य विद्यालय का निर्माण दान देकर निजी रैयती जमीन पर करवाकर एक नया इतिहास तो रचा, लेकिन सरकार द्वारा उस स्कूल का नाम करण उनके नाम पर न होना एक दुःखद पहलू हैं।वे आज भी दान दी गई जमीन को शर्तो के साथ निबंधन हेतु तैयार हैं।
भू-दाता सत्य नारायण अग्रवाल ने कहाँ कि मधेपुर प्रखंड के बसीपट्टी पंचायत में वर्ष 2014 में हमनें उच्च विद्यालय एवं अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र स्थापना हेतु नियमानुसार भूमि दान देने का प्रस्ताव किया साथ ही नाम करण वंसललाल कुशेश्वर अग्रवाल उच्च विद्यालय तथा माता सुलोचना अग्रवाल अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र बसीपट्टी होना तय था।भूमि का वैगर निबंधन तथा एन ओ सी प्राप्त 2015 में विद्यालय भवन का 1.5 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य हुआ। तत्पश्चात 2016 तथा 2017 में तत्कालीन विधायक तथा अन्यजन प्रतिनिधि से विधानसभा तथा विभागों से पत्राचार करवाकर विद्यालय भवन तथा ग्रामीण क्षेत्रों को बाढ़ से सुरक्षा का उपाय करने का आग्रह किया।
फलस्वरूप बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2018 में सुरक्षा बांध निर्माण की घोषणा,तत्पश्चात वर्ष 2019 में वगैर भूमि अधिग्रहण तथा मुआवजा के सुरक्षा बांध सह सड़क विस्तार परसौनी से मेहसा तक कार्य आरंभ किया गया।
पूर्व विधान पार्षद सदस्य सुमन महासेठ द्वारा वर्ष 2020 में विधान परिषद में प्रश्न उठाया गया तथा माननीय उच्च न्यायालय में CWJC संख्या 4235/21 तथा PIL संख्या 1761/21 के पश्चात अपर समाहर्ता द्वारा फरवरी 2021 में बैठक कर निबन्ध की प्रक्रिया पुनः आरंभ किया गया।
उन्होंने कहाँ की असामाजिक तत्वों द्वारा अनेक मुकदमों में उलझाने तथा हमारी भूमि पर अवैध दखल कब्जा का प्रयास अफसरों का मौन साधकर परोक्ष रूप में असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देना हैं।
अग्रवाल ने जिला पदाधिकारी, मधुबनी को 5 मार्च 2022 को लिखित आवेदन देकर कहाँ हैं कि हमारे परिवार के साथ स्थानीय स्तर पर कुछ जाल साज किस्म के लोगों द्वारा भूमि मामले में उलझाकर परेशान किया जाता हैं।जिसकी प्रतिलिपि उन्होंने मुख्यमंत्री( बिहार सरकार ) से लेकर शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री,जल संसाधन मंत्री, विधायक, पुलिस अधीक्षक तक को दिया हैं।
उन्होंने जिला पदाधिकारी को एक लिखित आवेदन देकर कहाँ हैं कि लंबित-शस्त्र अनुज्ञप्ति का निष्पादन, मधेपुर थाना काण्ड संख्या 58/2015 के प्रतिशोध में SC. ST. एक्ट मुकदमा 32/2015, मधेपुर थाना काण्ड संख्या 91/2020, मधेपुर थाना काण्ड संख्या 51/2021 दिनांक 09.04.2021 प्रतिशोध में 52/2021 दिनांक 11.04.2021, खाता संख्या 998/खेसरा 9743 MR-316/15/SDM झंझारपुर का निष्पादन( निष्पादित ), खाता संख्या 460/खेसरा 6339 नया खाता 1967 खेसरा 12210 , 12211 नापी व सीमांकन, COVID से अभय अग्रवाल की मृत्यु का अनुग्रह राशि का आश्रित को भुगतान आदि हैं।अग्रवाल ने कहां है कि सारे तथ्यों की उचित माध्यम से जांच करवाकर तथ्यात्मक कार्यवाई की जाय तथा हमें संरक्षण दिलाने की कृपा की जाय।
उल्लेखनीय हैं कि निबंधन के पूर्व ही दान पत्र में सन्नहित विद्यालय हेतु प्रस्तावित जमीन खाता संख्या पुरानी 96 नया 59,खेसरा पुरानी 338 नया 726 एक एकड़ जमीन के एक अंश पश्चिम से रकवा 23.98 डिसमल लगभग जमीन पर नव निर्मित विद्यालय भवन बनी हुई हैं।जबकि अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र हेतु प्रस्तावित 35 डिसमल जमीन अभी भी खाली हैं।पुनः उल्लेखनीय हैं कि भू-दाता को विद्यालय भवन निर्माण तथा आरंभ यथा भूमि पूजन से लेकर निर्माण पूर्ण होने तक कि पूरी जानकारी दान कर्ता अग्रवाल को हैं।किन्तु कभी भी उनके द्वारा कोई आपत्ति दर्ज कराते हुए रोकने का कभी प्रयास या अनुरोध किसी भी स्तर पर नहीं किया गया।भू-दाता अग्रवाल आज भी कतिपय शर्तों के साथ दान पत्र निबन्ध हेतु तैयार हैं।
.स्कूल के लिए जगह कम पड़ी तो दान में दे दी अपनी करोड़ों की जमीन। ऐसे लोगों को सलाम करनी चाहिए।लेकिन उन्हें सम्मान के बदले अपमान क्यों ?
लेखक – स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्र एवं चैनलो में अपनी योगदान दे रहे हैं।
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