भारत से तनाव के बीच कनाडा ने ब्रैम्पटन शहर के कुछ सिख युवाओं पर बड़ी कार्रवाई की है. स्थानीय पुलिस ने हथियार रखने के जुर्म में 8 सिख युवाओं को गिरफ्तार किया है. कनाडा ने सिख युवाओं पर यह कार्रवाई विदेश मंत्री एस जसशंकर की उस टिप्पणी के बाद की है जिसमें उन्होंने कहा था कि कनाडा में अपराधी, आतंकी और तस्कर एक साथ मिलकर ऑपरेट कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सिख युवाओं की गिरफ्तारियों से संकेत मिलता है कि कनाडा अब इस तरह की गलती करने वाले लोगों पर सख्ती दिखाने के लिए तैयार है.
एक सूत्र ने न्यूज वेबसाइट द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘गिरफ्तार किए गए सभी आठ युवा सिख हैं और उनके पास हथियार मिले हैं. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वो खालिस्तान समर्थक हैं.’
कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में बड़ी संख्या में सिख आबादी रहती है. शहर में गोलीबारी की खबरें सामने आने के बाद सिख युवाओं की गिरफ्तारी हुई है. तलाशी अभियान से पता चला कि उनके पास हथियार भी थे.
गुरुद्वारे ने दी युवाओं के बारे में जानकारी
गिरफ्तार सिख युवाओं के बारे के बारे में जानकारी एक स्थानीय गुरुद्वारे से मिली जिसके मुताबिक, सभी की उम्र 19 से 26 साल के बीच है. युवाओं पर प्रतिबंधित हथियारों को रखने का आरोप लगाया गया है. रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि वो ड्रग्स और अवैध हथियार गिरोह का हिस्सा हैं.
भारत बार-बार कहता रहा है कि कनाडा खालिस्तान समर्थक तत्वों पर कार्रवाई करे लेकिन कनाडा अब तक इन मामलों पर चुप ही रहा है. लेकिन अब सिख युवाओं पर कार्रवाई की यह खबर सामने आई है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कनाडा को लगाई थी लताड़
कनाडा में सिख युवाओं की गिरफ्तारी से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि कनाडा में अपराधियों, आतंकियों और तस्करों का खतरनाक गुट एक साथ सक्रिय है.
जयशंकर ने अमेरिका के थिंक टैंक हडसन इंस्टिट्यूट में बोलते हुए कहा था, ‘कनाडा आतंकवादियों और चरमपंथियों के प्रति उदार रहा है. मैं यह कह सकता हूं कि कनाडा में न केवल भारतीय राजनयिक असुरक्षित हैं और उन्हें खतरा भी है बल्कि वहां अपने मिशन चलाना एक चुनौती है. यही कारण है कि हमें वीजा सेवाओं को बंद करना पड़ा. वहां अपराधियों, आतंकवादियों और तस्करों का एक खतरनाक मिश्रण बन गया है. कनाडा की राजनीतिक मजबूरियों के कारण ये एक साथ मिलकर ऑपरेट कर रहे हैं.’
भारत की सख्ती और नरम पड़ता कनाडा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड में शामिल होने का आरोप लगाया है. इस आरोप के बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते निम्नतम स्तर पर हैं. भारत की सख्ती को देखते हुए कनाडा का रुख अब थोड़ा नरम पड़ा है. कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो ने हाल ही में कहा था कि वे भारत के साथ बातचीत जारी रखना चाहते हैं और तनाव की स्थिति को बढ़ाना नहीं चाहते.
लेकिन भारत कनाडा पर सख्ती का कोई मौका नहीं छोड़ रहा. गुरुवार को ही एक साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत और कनाडा में दोनों देशों के राजनयिकों की संख्या समान होनी चाहिए. अब यह कनाडा तय करे कि वो अपने किस राजनयिक को भारत में रखना चाहता है और किसे बुलाना चाहता है.
बागची ने कहा, ‘जैसा कि हमने पहले कहा है, भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या काफी ज्यादा है और वो हमारे घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा के राजनयिक भारत में अपनी संख्या कम करेंगे और वापस चले जाएंगे.’
इससे पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ने कनाडा से कहा है कि वो अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला ले. राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए भारत ने कनाडा को 10 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया है.