भुवनेश्वर। देश में सदियों से चर्म रोग या घाव ठीक के लिए नीम और उसकी निंबोली का प्रयोग होता रहा है। अब स्तन कैंसर का इलाज भी इससे किया जाएगा।
आईएलएस, भुवनेश्वर ने कहा है कि कैंसर स्टेमसेल को जड़ से खत्म करने के लिए नीम के पत्ते को दवा के रूप में प्रयोग किया जाएगा। नीम के पत्ते में विद्यमान निम्बोलाइडर नामक तत्व कैंसर के निदान में अत्यंत उपयोगी हो सकता है।
इस पत्रिका में हुआ है प्रकाशित
जीवन विज्ञान संस्थान या इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेस (आइएलएस), भुवनेश्वर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव साहू के नेतृत्व में एक टीम ने नीम पत्र में मौजूद फाइटोकेमिकल निम्बोलाइड पर शोध किया था। इसे अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिका मालिकुलर थेरेपी न्यूक्लिक एसिड में प्रकाशित किया गया है।
पत्रिका में प्रकाशित तथ्य के अनुसार, निम्बोलाइडर के पास सबसे खतरनाक ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर को जड़ से समाप्त करने की पूरी क्षमता है। चूहे और मछली (जेब्रा फिश) पर किए गए प्री-क्लीनिकल प्रयोग से यह प्रमाणित होने से स्तन कैंसर मरीजों के लिए नई आशा का संचार होने की उम्मीद की जा रही है।
निम्बोलाइडर में कैंसर रोधी गुण- डॉ. संजीव
डॉ. संजीव ने कहा कि निम्बोलाइडर में कैंसर रोधी गुण है। यह बात पहले से पता थी, लेकिन यह खून में नहीं मिलने से व्यावहारिक प्रतीत नहीं हो रहा था। हालांकि, नैनो-टेक्नोलॉजी व्यवहार का अध्ययन से संभावना दिखी।
उन्होंने कहा कि कैंसर का इलाज के लिए वर्तमान समय में कीमोथेरेपी की व्यवस्था है। ज्यादतर मरीज इससे ठीक भी हो रहे हैं, लेकिन कीमोथेरेपी में एक बड़ा अवगुण है कि यह कैंसर सेल के साथ शरीर के सामान्य सेल को भी नष्ट कर देती है।
इसी का विकल्प तैयार करने के अनुसंधान में पता चला कि नीम के पत्ते में विद्यमान निम्बोलाइड केवल कैंसर सेल को ही नष्ट करता है, सामान्य सेल को कोई नुकसान नहीं होता है।
निम्बोलाइड के प्रयोग पर काम कर रहे वैज्ञानिक
अनुसंधान में यह भी पता चला कि निम्बोलाइडर स्तन कैंसर के साथ शरीर के अन्य हिस्से में दिखाई देने वाले कैंसर सेल को भी ठीक कर देता है। वर्तमान में आईएलएस, भुवनेश्वर स्तन कैंसर को ठीक करने के लिए कीमोथेरेपी के साथ निम्बोलाइड के प्रयोग पर काम कर रहा है।
यह प्रयोग यदि व्यापक रूप से सफल हुआ तो भविष्य में नीम के पत्ते से स्तन कैंसर की दवा विकसित की जाएगी और यह कीमोथेरेपी का उत्कृष्ट विकल्प उपलब्ध हो जाएगा।
आईएलएस भुवनेश्वर की पीएचडी स्कॉलर प्रियंका महापात्रा ने कहा कि पूरे अध्ययन से हमने पाया है कि निंबोलाइड में एक शक्तिशाली एंटी-ट्यूमर एवं एंटी-मेटास्टैटिक प्रभाव है।
चूहे व जेब्रा फिश में मनुष्य से मिलते-जुलते अवयव
चूहे व जेब्रा फिश( जिसे अंजु मछली भी कहा जाता है) में मनुष्य से मिलते-जुलते अवयव होते हैं। इनके मसल्स, रक्त, किडनी व आंख में मनुष्य जैसी समानता होती है। इसी वजह से जीवन विज्ञान के शोध में ज्यादातर प्रयोग इन्हीं दोनों जीव पर किया जाता है।