अफगानिस्तान शनिवार को भूकंप के झटकों से दहल गया। एक के बाद एक लगातार पांच झटकों ने कई इमारतों और दीवारों को जमींदोज कर दिया। भूकंप में कम से कम 2000 लोगों की जान चली गई। इसे अफगानिस्तान में बीते चार दशकों की सबसे बड़ी तबाही बताया जा रहा है। भूकंप की तीव्रती रिक्टर पैमाने पर 6.3 मापी गई। मरने वालों की संख्या अभी बढ़ भी सकती है। यूएसजीएस के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहर हेरात से 40 किलोमीटर नॉर्थ वेस्ट में था। तालिबान ने अब दुनिया के सामने मदद के लिए हाथ फैला दिए हैं।
भूकंप आने के बाद लोग अपने घरों और दुकानों को छोड़कर भागने लगे। सोशल मीडिया पर दहशत के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। हेरात के रहने वाले बशीर ने बताया, हम लोग उस व क्त ऑफिस में थे। अचानक इमारत हिलने लगी। उन्होंने एएफपी से कहा, भूकंप इतना तेज था कि दीवार का प्लास्टर गिरने लगा और दीवारों में दरार आ गई। इसके अलावा इमारत का कुछ हिस्सा ढह भी गया।
उन्होंने कहा, अब मेरा परिवार से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। मोबाइल डिसकनेक्ट हो गया है। हम बेहद डरे हुए हैं। अफगानिस्तान के नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की भी घटनाएं हुई हैं जिनमें लोगों के मारे जाने की आशंका है। फिलहाल हमारे पास सारी जानकारियां अभी नहीं हैं। बता दें कि हेरात को अफगानिस्तान की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। यहां लगभग 19 लाख लोग रहते है। बीते साल जून में भी अफगानिस्तान में आए भूकंप में कम से कम 1000 लोगों की मौत हो गई थी।
अफगानिस्तान में भूकंप फराह और बदगीस प्रांतों में महसूर किया गया। अफगानिस्तान का बड़ा इलाका भूकंप संभावित है। हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला में यूरेशियन और भारतीय टैक्टोनिक प्लेटों के अभिसरण की वजह से यहां भूकंप अकसर आता रहता है। कई बार हिंदुकुश के भूकंप का असर भारत के दिल दिल्ली तक होता है।