अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा धार्मिक फिल्म दास्तान-ए-सरहिंद को मंजूरी नहीं दिए जाने से इसके तीन नवंबर को रिलीज होने की संभावना कम हो गई है। नवी सिधू द्वारा निर्देशित यह फिल्म दसवें पतिशाह श्री गुरु गोबिंद साहिब के दो छोटे बेटों और मां गुजरी की सरहिंद में हुई शहादत पर आधारित है।
वार्मिस्ट संगठन दल खालसा इंटरनेशनल के कार्यकारी सदस्य परमजीत सिंह मंड और अन्य सिख संगठनों ने निर्देशक नवी को फिल्म रिलीज न करने की चेतावनी दी है। ऐसे में इस फिल्म की रिलीज पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
बड़े पर्दे पर रिलीज के लिए तैयार इस फिल्म को वापस लेने का आदेश मंड ने नवी को जारी किया है। बकौल मंड, उन्होंने निर्देशक नवी से कहा है कि ऐसी कोई भी फिल्म जो सिख धर्म के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हो, उसे सिनेमाघरों में चलने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसलिए, उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब जाना चाहिए। याद रहे कि इससे पहले भी सिख संगठनों ने धार्मिक फिल्में ‘नानकाशाही फकीर’ और ‘मीरी-पीरी’ को सिख शिक्षाओं के विपरीत बताते हुए सिनेमाघरों में रिलीज नहीं होने दी थी।
सिख सिद्धांत के खिलाफ है फिल्मांकन: SGPC
दूसरी ओर, एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि सिख सिद्धांत गुरु साहिबों और उनके परिवारों के फिल्मांकन पर स्पष्ट रूप से रोक लगाते हैं। बकौर प्रताप सिंह ने उक्त फिल्म में गुरु गोबिंद साहिब के चार साहिबजादों और माता गुजरी को कंप्यूटर ग्राफिक्स के माध्यम से फिल्माने के दृश्य सिख धर्म के मूल सिद्धांतों को ठेस पहुंचाते हैं।
फिल्म के रिलीज होने पर अटकलें
उन्होंने कहा कि एसजीपीसी के धार्मिक नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल निर्देशक नवी को फिल्म से आपत्तिजनक दृश्य हटाने में मदद करेगा। उसके बाद फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी जाएगी। फिलहाल, इसे रिलीज नहीं किया जाएगा।
इसे लेकर श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के नेतृत्व में बुद्धिजीवियों का एक प्रतिनिधिमंडल गठित किया गया है। यह प्रतिनिधिमंडल 30 अक्टूबर को श्री गुरु रामदासजी के प्रकाश पर्व के बाद फिल्म देखकर निर्णय ले सकेगा।