नई दिल्ली। वायु प्रदूषण राजनीति के लिए वोट का विषय हो सकता है, लेकिन इसका दुष्परिणाम वो भी झेल रहा है जिसने दुनिया देखी ही नहीं है। गैस चेंबर बनी राष्ट्रीय राजधानी में हजारों गर्भवती इसी में सांस ले रहीं हैं और यह जहरीली हवा गर्भ में पल रहे बच्चे तक जा रही है।
तमाम पोषण और आहार के बीच प्रदूषित हवा उन बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है। पहले तो उनका जन्म लेना कठिन है और जन्म लिया भी तो जीवन भर की स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां उनकी आगे की राह में रोड़ा बन सकती हैं।
फिलहाल दिल्ली में एक्यूआई 400 से अधिक है।
अनुमानित आंकड़े के अनुसार राजधानी में प्रति वर्ष औसतन सवा तीन लाख गर्भवती की संख्या है। फिलहाल दिल्ली में 400 से अधिक एक्यूआइ है। ऐसी स्थिति में बच्चे को गर्भ में बचाना डॉक्टरों के लिए चुनौती से कम नहीं है।
वसंत कुंज स्थित फोर्टिज अस्पताल के प्रधान निदेशक और बाल व नवजात विशेषज्ञ डा. राहुल नागपाल ने बताया कि गर्भवती के लिए वायु प्रदूषण बेहद नुकसानदायक है। ऐसी स्थिति में गर्भवती जब सांस लेती है तो वह जहीरीली हवा महिला के पेट में पल रह बच्चे को नुकसान पहुंचाती है।
वायु प्रदूषण मां और बच्चे को जोड़ने वाली गर्भनाल को क्षतिग्रस्त करके भ्रूण तक को नुकसान करता है। दरअसल, गर्भवती मां जो भी खाती है वह सीधा बच्चा भी ग्रहण करता है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं में वायु प्रदूषण के कारण प्री-मेच्योर डिलीवरी का खतरा भी रहता है। कुछ मामलों में गर्भ में पल रहा बच्चा सांस संबंधी बिमारियों से भी पीड़ित हो सकता है।
मृत्यु दर बढ़ने की आशंका
क्लाउड नाइन अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ डॉ. विनय राय बताया कि गर्भवती के ऐसी हवा में सांस लेने से बच्चे की वृद्धि कम होे जाती है। यहां तक की बच्चे में जेनेटिक बदलाव भी आ सकते हैं। इतना ही नहीं यह पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होगा। उसकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होगी। चूंकि टॉक्सिन का प्रभाव लंबे समय तक रहता है, ऐसे में मृत्यु दर बढ़ेगी।
पाक और बांग्लादेश में हर साल हो रहे 3 लाख 49 हजार गर्भपात
करीब चार साल पहले लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट में सामने आया था कि वायु प्रदूषण का गर्भपात से सीधा संबंध है। दिल्ली-एनसीआर में समेत देशभर में वायु गुणवत्ता स्तर को सुधार लें तो 7 प्रतिशत तक प्रेगनेंसी लास को रोका जा सकता है। वायु प्रदूषण के प्रभाव के चलते भारत के साथ पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रत्येक वर्ष 3.49 लाख गर्भपात हो रहे हैं।
पिछले चार वर्ष में शिशु मृत्यु दर
वर्ष शिशुओं की मौतें शिशु मृत्यु दर
2019- 8823 24.12
2020- 6145 20.37
2021- 6413 23.60
2022- 7155 23.82