पटना। दूध को सेहत का साथी माना जाता है। नाश्ते से रात को सोने के पहले तक बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक बेहतर स्वास्थ्य के लिए इसका सेवन करते हैं।
त्योहारों में तो इससे बनीं मिठाइयों व व्यंजनों की धूम रहती है। ऐसे में दूध और दुग्ध उत्पादों की खपत कई गुना बढ़ना स्वाभाविक है। इससे निपटने के लिए बड़ी व प्रतिष्ठित डेयरी उच्च गुणवत्ता का दूध पाउडर बनाकर रखती हैं।
70 प्रतिशत दूध में 30 प्रतिशत मिल्क पाउडर बनाकर इस कमी को पूरा करती हैं। फैट बरकरार रखने के लिए शुद्ध घी या बटर मिलाते हैं। इस प्रक्रिया में कुछ लोभी दुग्ध उत्पादक सेंध लगा रहे हैं।
इस तरह से करते हैं मिलावट
वे घटिया गुणवत्ता के मिल्क पाउडर और रिफाइंड आयल को ताजे दूध में अच्छे से मिलाकर उसे बेचते हैं। कुछ लोग तो बड़ी डेयरी तक को इसकी आपूर्ति कर दूसरों के शुद्ध दूध को भी मिलावटी बना देते हैं।
दानापुर समेत कई ग्रामीण इलाकों में इसके लिए छोटे प्लांट भी लगाए गए हैं। वहीं, दूध को गाढ़ा करने के लिए कुछ लोग सोयाबीन पीस कर भी उसमें मिलाते हैं। पनीर और खोआ बनाने वाले भी पीछे नहीं हैं। वे क्रीम निकले दूध या घटिया मिल्क पाउडर से बने दूध में रिफाइंड मिलाकर इसे तैयार तो करते ही हैं, मात्रा बढ़ाने के लिए आरारोट या आलू भी मिलाते हैं।
आरारोट या आलू मिलाने के कारण ही इस पनीर या खोआ में स्टार्च पाया जाता है, जिसकी बीटाडीन से जांच कर अक्सर खाद्य संरक्षा पदाधिकारी पनीर व खोआ को नष्ट कराते हैं। शनिवार को जेपी गंगा पथ पर चार फास्ट फूड दुकानों की तो चारों का पनीर मिलावटी मिला।
लिवर रोग विशेषज्ञ ने क्या कहा
लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय प्रकाश ने बताया कि प्राकृतिक चीज को किसी भी प्रकार से बनाया जाए, वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। मिलावटी घी, दूध, खोआ, पनीर से पेट के कोलन में कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
पनीर, घी व खोआ की जांच नियमित रूप से की जाती है। घटिया गुणवत्ता मिलने पर नष्ट कराया जाता है। मिठाइयों का कोई मानक नहीं है। मिठाई वाले भी दूध पाउडर का प्रयोग करते हैं और रिफाइंड मिलाते हैं लेकिन यदि वे अपनी रेसिपी में इसे घोषित करते हैं तो कार्रवाई नहीं की जा सकती है। दुग्ध उत्पाद बेच रहे लोगों की निशानदेही कर कार्रवाई की जाएगी।- अजय कुमार, खाद्य संरक्षा पदाधिकारी