रामपुर। अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते सपा नेता आजम खां के खिलाफ यतीमखाना प्रकरण के तीन मामलों में बुधवार को सुनवाई नहीं हो सकी। अब इन मामलों में 20 नवंबर को सुनवाई होगी।
शहर कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला सराय गेट के निकट स्थित यतीमखाना बस्ती को वर्ष 2016 में जबरन खाली कराया गया था। तब प्रदेश में सपा की सरकार थी। इसके बाद भाजपा सरकार आने पर वर्ष 2019 में बस्ती के लोगों ने शहर कोतवाली में 12 मुकदमे दर्ज कराए थे।
इन मुकदमों में आजम खां के इशारे पर सपाइयों पर पुलिस फोर्स के साथ बस्ती खाली कराने, लोगों को घरों से मारपीटकर निकालने, उनके रुपये, जेवर और भैंस-बकरी लूटकर ले जाने के आरोप हैं। इन मुकदमों में आजम खां समेत सेवानिवृत्त सीओ आले हसन खां, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल, इस्लाम ठेकेदार आदि नामजद हैं। मुकदमे की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट (सेशन ट्रायल) में चल रही है।
बुधवार को भी तीन मामलों में सुनवाई थी। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सीमा राणा ने बताया कि अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं हो सकी।
हाईकोर्ट बैंच की मांग को लेकर हड़ताल पर रहे अधिवक्ता
पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना की मांग को लेकर बुधवार को अधिवक्ता हड़ताल पर रहे। बार एसोसिएशन सभागार में पहले अधिवक्ताओं की बैठक हुई, जिसमें हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया। बार एसोसिएशन के महासचिव अशेक कुमार पिप्पल ने बताया कि हाईकोर्ट बैंच स्थापना संघर्ष समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आह्वान पर हड़ताल की गई। इसके अलावा प्रत्येक शनिवार को भी इसी मांग को लेकर कामकाज नहीं करने का निर्णय हुआ है।