मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं का सरकार के खिलाफ विरोध जारी है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जारेंगे ने अल्टीमेटम दिया है कि 24 दिसंबर तक मराठा आरक्षण की मांग पूरा हो वरना वो उन नेताओं का नाम दुनिया से साझा करेंगे, जो वर्षों से इसके खिलाफ हैं।
वहीं, शिवसेना (UBT) नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने मराठा आरक्षण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के जरिए एकनाथ शिंदे सरकार पर तीखा प्रहार किया है।
कैबिनेट में एक दूसरे पर चलकर जा रहे नेता: संजय राउत
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए संजय राउत ने कहा,”‘इस मामले पर कैबिनेट में गैंगवार चल रही है। ओबीसी बनाम मराठा चल रहा है। इस तरह से पूरा माहौल खराब हो गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। हमारे पास जो खबर आ रही है कैबिनेट में एक दूसरे पर चलकर जा रहे हैं। आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ। शंभूराज देसाई हों या छगन भुजबल, राज्य में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई।”
मराठा आरक्षण के समर्थन में उतरे कई लोग राज्य में हिंसा को भी अंजाम दे रहा हैं। इस मामले पर महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा (अजित पवार गुट) नेता छगन भुजबल ने सोमवार को कहा कि ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने के पिछले दरवाजे” के प्रयासों का विरोध किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा और दबाव की राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आखिर सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग है क्या?
मराठा आरक्षण की मांग करने वाले मनोज जरांगे की मांग है कि सरकार मराठाओं को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करे। असल में कुनबी जाति के लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है। अगर मराठाओं को कुनबी जाति का प्रमाण मिलता है तो उन्हें खुद-ब-खुद आरक्षण का फायदा मिल जाएगा।
क्यों ओबीसी जाति में शामिल होना चाहते हैं मराठा समुदाय?
दरअसल, आजादी से पहले मराठवाड़ा क्षेत्र हैदराबाद के रियासत का हिस्सा था। मनोज जरांगे ने कहा है कि सितंबर 1948 में निजाम का शासन खत्म होने तक मराठाओं को कुनबी जाति माना जाता था और वो ओबीसी जाति में आते थे। इसलिए मराठाओं को कुनबी जाति में एक बार फिर जोड़ा जाए।