वल्लभ भारतवर्ष की बिटिया दीक्षा मान पुत्री गोपीचंद मान भीर्र सिंघाना झुंझुनूं राजस्थान, क्या दूसरी मधुबाला बनेगी?
जयपुर, राजस्थान, 5 नवंबर,2023 (हमारे दैनिक अखबार दैनिक अयोध्या टाइम्स कानपुर यूपी भारतवर्ष के राजस्थान एंड हरियाणा जनरल एंड मैनेजिंग एडिटर राजेश कुमार शर्मा सिंघाना झुंझुनूं राजस्थान 8279020996 सिंघाना सतनाली वाले वरिष्ठ पत्रकार की लेखनी से )
वल्लभ भारतवर्ष अंतर्गत वल्लभ राजस्थान अंतर्गत वल्लभ झुंझुनूं जिला या शेखावाटी से जहां एक ओर आज तक कोई भी व्यक्तित्व पर्सन शायद भारतीय क्रिकेट टीम हॉकी टीम फुटबाल टीम में स्टार खिलाड़ी नहीं बन सका या टेनिस बैडमिंटन में स्टार नही बन सका या भारतीय सिनेमा स्टार नही बन सका सीएम पीएम रेल मंत्री केंद्र या राज्य में वित्त मंत्री नही बन सका उस झुंझुनूं जिले और शेखावाटी की उपलब्धियों की सतनराण कथा यानी सत्यनारायण कथा यदि हम गंभीरता पूर्वक मुंह से बोलते हुए और पैन से लिखते हुए लिखें तो इस तरह सलीकेपूर्ण तरीके से लिखना चाहिए जैसे कि कोई गंभीरता पूर्वक अपनी मुट्ठी में रखकर ही चमत्कारिक रूप से सुपारी भी फोड़ दे और जरा सी हलचल भी ना हो और अखिल वल्लभ भारतवर्ष का ध्यानाकर्षण हो जाए और पाठक ये मानने पर मजबूर हो जाएं कि पत्रकार लेखक और लेखनी भी कोई चीज होती है और मुद्दा अखिल वल्लभ भारतवर्ष में चर्चित भी हो जाए ।
सफलता भी क्या चीज है जो किसी से तो इतनी ईर्ष्या करती है कि अपने दर पर आए हुए गिफ्ट प्रदाता दातार को पहचानने से ही इंकार कर देती है और गरियाती है और एक उस कहानी के उस बुजुर्ग जिनकी बड़ी बड़ी मूंछें थी ,जो मंदिर में रहते थे ,जिनकी भार्या यानी पत्नी जवानी में ही स्वर्गवासी हो गई और उन बुजुर्ग को मिलने वाली महिलाएं अक्सर चाचा चाचा कहकर एक बार फिर शादी करवाने का झांसा देकर भरपूर हंसती थी , उन बुजुर्ग को लेकिन दोबारा भार्या नसीब नही हुई, उन्हीं बुजुर्ग के पोते को वो सफलता यानी युवती पत्नी के रूप में मिल गई जिस युवती ने उस नायक को नकार दिया जो बार बार विफल हुआ बड़ा एक्सक्लूसिव महान था ,बहुमुखी प्रतिभा का धनी था , कहानी के उस युवक के बारे में उस युवती के परिवार द्वारा शायद ये कहा गया कि कमाण खाण के बल हो रयो है, कहने का लब्बोलुआब ये है कि सफलता भी बड़ी रहस्यमई दुर्लभ चीज है , कोई छोटी से छोटी सफलता के लिए तरसता है और कोई बड़े से बड़े मुकाम पर पहुंच जाता है। यही विरोधाभास सफलता को और ज्यादा महत्व भी प्रदान करता है।
इसी तरह से राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिलांतर्गत बुहाना उपखंड के भीर्र गांव के मूल वाशी और हाल में राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिले के सिंघाना कस्बे में, वो सिंघाना जो ऐतिहासिक उपखंड शहर खेतड़ी(वो खेतड़ी जिसे ऐतिहासिक तथ्यों और जन भावनाओं मुताबिक मांग के अनुसार अब तक जिला बन जाना चाहिए था लेकिन राजस्थान में हालिया 20/ 22 के लगभग नव सृजित जिलों के बंपर नव सृजन काल में भी जिसे जिला ना बनाकर न्याय हुआ या अन्याय हुआ ? उल्टी गंगा बहाई गई या नही बहाई गई ? ये प्रश्न खेतड़ी की जनता जनार्दन पूछ रही प्रतीत होती है, वो खेतड़ी )के बगलगीर सिंघाना कस्बे के रहने वाले गोपीचंद मान की सुपुत्री दीक्षा मान के बारे में भी ये कहा जा सकता है या नही कहा जा सकता है कोई बताए कि उसकी योग्यता को उसी तरह सफलता मिली है या नही मिली है जैसे बड़े सफल लोगो को मिलती है। माना कि शायद झुंझुनूं जिले और शेखावाटी का कोई व्यक्तित्व भारतीय क्रिकेट फुटबाल हॉकी टेनिस बैडमिंटन सिनेमा का स्टार या सीएम पीएम रेल मंत्री नही बना है लेकिन बिटिया दीक्षा मान ने झुंझुनूं जिले के इतिहास में सफलता का ये सूखा उस वक्त खत्म कर दिया जब उसने मायानगरी मुंबई के सिनेमा जगत में पदार्पण किया और फिल्म नार का सुर में अपने एक्सक्लूसिव अभिनय से झुंझुनूं जिले को राष्ट्रीय मानचित्र पर उसी तरह ढेर सारी पहचान दिलाई जिस तरह से किसी जमाने में झुंझुनूं जिले के श्यामपुरा मैनाना गांव के श्रीचंद साहब ने ओलंपिक्स में और एशियाई खेलों में झुंझुनूं जिले को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और मान सम्मान दिलाया था ।
कुलदीप कौशिक के निर्देशन में निर्मित फिल्म नार का सुर के लीड रोल की अभिनेत्री दीक्षा मान
राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिले के उस भीर्र गांव के ओरिजिनल रेजिडेंट यानी मूल वाशी है जिस भीर्र गांव ने वल्लभ भारतवर्ष को अनेकों रणबाकुरे राष्ट्र भक्त राष्ट्र सेवक सैनिक दिए हैं। वल्लभ झुंझुनूं वल्लभ राजस्थान और वल्लभ भारतवर्ष की बिटिया दीक्षा मान के पापा गोपीचंद मान सिंघाना में बैटरी की दुकान चलाते हैं और दीक्षा की मम्मी सरिता देवी एलआईसी एजेंट हैं । जिस हिंदी फिल्म नार का सुर में लीड रोल को लेकर दीक्षा इतनी चर्चा में आकर पहचान बटोर रही है वो नार का सुर फिल्म कोई आम मसाला फार्मूला फिल्म नही है बल्कि महिला सशक्तिकरण का एक एक्सक्लूसिव संदेश देने वाली एक प्रभावी फिल्म है। माननीय सम्माननीए महिलाओं को मातृ शक्ति बहन बेटी मानकर सम्मानित मनुष्य मानकर सच्चा सम्मान धोक प्रकटीकरण करते हुए ,
थोड़ा व्यंग उत्पन्न करने की कोशिश करके इस लेखन में थोड़ा हास्य और व्यंग का तड़का लगा देते हैं, ठीक उसी तरह जैसे कोई सफल निर्देशक अपनी फिल्म में एक सफल नायक और सफल नायिका के साथ साथ एक सफल कॉमेडियन भी लेता है,एक बार एक राष्ट्र में (पहचान नहीं बता रहा हूं कौनसा राष्ट्र है, किसी कहानी में पढ़ा था कहानी काल्पनिक भी हो सकती है ) एक वरिष्ठ एक्सक्लूसिव पत्रकार महोदय की कॉलोनी में ऐक बड़ी ही खतरनाक झगड़ालू माननीय सम्मानिय महिला रहती थी, वो बड़े ही उग्र रूप से गालियां बकने बुरा भला कहने का उपक्रम अक्सर मूड बनने पर किया करती थी, वैसे वो निस्वार्थ थी या अपनी राजनीति चमका रही थी कुछ कहा नहीं जा सकता ,खैर जो भी था,वो खतरनाक झगड़ालू महिला उन एक्सक्लूसिव पत्रकार महोदय के दरवाजे पर आकर जोर जोर से बंद दरवाजे को पीटने लगी और दरवाजा खोलने के लिए उग्र चुनौती देने लगी ,क्योंकि बंद दरवाजे के अंदर घर में पत्रकार महोदय और उनकी मम्मी अपने छोटे बेटे और भाई को इस बात के लिए कह रहे थे कि वो शौच इत्यादि से निवृत हो जाए ,उसका हाथ टूटा हुआ था प्लास्टर बंधा हुआ था ,इस कारण वो शायद कुछ रोज से शौच से निवृत्त नही हुआ था , उसको ऐसा कहने पर वो रो रहा था, इसी रोने को लेकर वो खतरनाक झगड़ालू महिला उग्र होकर पत्रकार महोदय के द्वार पर आ धमकी और जोर जोर से दरवाजा पीटते हुए दरवाजा खोलने के लिए चुनौती देने लगी। वो ही खतरनाक झगड़ालू महिला एक बार जब अपनी फुल फॉर्म में थी तब उसने अपने पति को आगे आगे दौड़ाते हुए बड़ी दूर तक भगाया था पीछे से पत्थर मारने की धमकी देते हुए । अब कोई ये वर्णित कर सकता है कि इस आलेख का इस गोल मोल पहचान वाली कहानी से क्या सम्बन्ध है। हां निश्चित ही कोई संबंध नहीं है। सबका सम्मान करते हुए सबसे दया सम्मान संरक्षण मांगते हुए माननीय सम्माननीय महिलाओं मातृ शक्ति बहन बेटियों का सच्चा सम्मान करते हुए दया सम्मान संरक्षण मांगते हुए सबका सम्मान करते हुए सबसे दया सम्मान संरक्षण मांगते हुए उक्त गोल मोल पहचान वाली और शायद काल्पनिक कहानी वाली बातें सिर्फ व्यंग उत्पन्न करने के लिए असंबद्ध रूप से अप्रासंगिक रूप से थोड़ा सा व्यंग हास्य का तड़का लगाने के लिए उल्लेखित की गई हैं।
बिटिया दीक्षा मान के पापा गोपीचंद मान द्वारा प्रेषित सामग्री मुताबिक नारी सशक्तिकरण का पुरजोर संदेश देने वाली फिल्म नार का सुर की कहानी उन 12 महिलाओं के इर्द गिर्द घूमती है जो राष्ट्र में न्याय पाने के लिए संघर्ष करती हैं । दीक्षा इस फिल्म में लीड रोल में है। दीक्षा के पापा गोपीचंद मान द्वारा प्रेषित व्हाट्स एप सामग्री मुताबिक दीक्षा ने कॉपर के सोफिया स्कूल से स्कूली पढ़ाई पूरी की ,फिर बीकानेर से कंप्यूटर साइंस में बी टेक किया । अपनी शिक्षा पूरी करने बाद दीक्षा जयपुर चली गई,जहां उसने रविन्द्र मंच में थिएटर का अभ्यास करना प्रारंभ किया ।
2017 में दीक्षा को मुंबई विश्वविद्यालय में थिएटर आर्ट्स अकादमी में थिएटर आर्ट्स में मास्टर के लिए चुना गया। उन्होंने विजय केनकरे ,गोविंद नामदेव, सलीम आरिफ, डी आर अंकुर, मिलिंद नामदार, गुरु विश्वजीत सहित विभिन्न प्रमुख थिएटर प्रैक्टिशनर्स के नेतृत्व में अपना दो साल का प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा किया । 2019 में एक फिल्म अभिनेत्री के रूप में कार्य प्रारंभ किया । दीक्षा ने कई टीवी विज्ञापनों कैनडेयर शुगर भारत मेट्रिमनी जीवामे होंडा वेदांता आदि के लिए भी कार्य किया ।
शॉर्ट फिल्म पर्दा में भी निभाई थी मुख्य भूमिका
तन्हा दिल तन्हा सफर गाने के रीमेक में भी शान से नजर आई थी दीक्षा मान । शॉर्ट फिल्म पर्दा में मुख्य अभिनेत्री की भूमिका निभाई थी । इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरुस्कार प्रदान किया गया था । दीक्षा मान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए भी नामांकित किया गया था । इस दौरान अश्विनी कलसेकर जैसी अभिनेत्री भी शामिल थी । दीक्षा मान के पापा द्वारा व्हाट्स एप पर प्रेषित सामग्री मुताबिक दीक्षा का ये कहना है कि फिल्म नार का सुर नारी सशक्तिकरण का तो पुरजोर संदेश देती ही है साथ ही मानव सशक्तिकरण का भी संदेश देती है । यदि हर मनुष्य अपनी शक्तियों को पहचान ले तो अपनी लिमिट्स के पार आगे बढ़ सकता है ये भी संदेश है ।ये फिल्म हर मनुष्य के लिए है । इस फिल्म में महिला सशक्तिकरण का ये पुरजोर संदेश है कि माननीय सम्माननीय महिलाएं मातृ शक्ति बहन बेटियां अपने मार्ग में आने वाली किसी भी चुनौती को बखूबी पार कर सकती हैं। लीक लीक गाड़ी चले लीक छोड़ तीनों चलें शायर सिंह सपूत ये कहावत बिटिया दीक्षा मान ने साकार की है या नहीं की है कोई बताए ? कोई ये भी बताए कि नियमों को मानते तो नद नाले सोते हैं महानद तो स्वभाव से ही प्रचंड होते हैं शायद ये महान कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा है या फिर किसी ओर ने कहा है ? कोई ये भी बताए कि क्या बिटिया दीक्षा मान ने ये ठीक उक्त उक्ति भी साकार की है या नही की है ? शेखावाटी क्षेत्र की सेलिब्रेटेड यू ट्यूबर ,(और शायद पत्रकार हैं या नही हैं ये मुझे पता नहीं है ,) बिटिया खुशबू के साथ एक ढेर सारे माननीय सम्माननीय इंटरव्यू में बिटिया दीक्षा मान जो वर्णित कर रही हैं उसका लब्बोलुआब शायद यही है कि उनके पापा का ये सजेशन था कि भेड़ चाल ना करके कुछ नया यूनिक लीक से हटकर किया जाना चाहिए। कोई ये बताए कि यानी कोई ये कह सकता है या नही कह सकता है कि लीक से हटकर किया हुआ कोई महान कार्य अनूठा कार्य ही फीट feat यानी महान बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है या नही कही जा सकती है । और कोई ये भी बताए कि क्या वल्लभ भारतवर्ष की बिटिया दीक्षा मान प्रॉमिसिंग है या नही है ,बिटिया दीक्षा मान ने कोई बड़ी फीट यानी बड़ी उपलब्धि हासिल की है या नही की है , बिटिया दीक्षा मान आगामी जीवन में ढेर सारी सफलताएं हासिल करेंगी या नही करेंगी ?
सबका सम्मान करते हुए सबसे दया मांगते हुए माननीय सम्माननिए महिलाओं मातृ शक्ति बहन बेटियों और सबका सम्मान करते हुए सबसे दया सम्मान संरक्षण मांगते हुए उक्त आलेख अखिल जनहित में थोड़ा मनोरंजन करने की भावना के साथ थोड़ा व्यंग का तड़का लगाकर व्यंग उत्पन्न कारक असंबद्ध अप्रासंगिक कहानी का उल्लेख करके लिखा गया है। किसी का भी अपमान करना या किसी की भी भावनाएं आहत करना इसका उद्देश्य नही है । सबका सम्मान करते हुए सूचना प्रचारित करना इसका उद्देश्य है, सबका सम्मान करते हुए सबसे दया सम्मान संरक्षण मांगते हुए सबका सम्मान करना सबका मनोरंजन करना और सब तक सूचना पहुंचाना अखिल जन हित अखिल राष्ट्र मानवता हित में, यही इस आलेख यानी आर्टिकल का इसका उद्देश्य है।