लखनऊ। एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने बांग्लादेशियों को घुसपैठ कराने वाले गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार करने के बाद एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है।
गिराेह ने बांग्लादेशी महिला को घुसपैठ कराने के बाद 25 हजार रुपये में बेच दिया था। एटीएस ने महिला व उसके खरीदार बांग्लादेश निवासी इब्राहिम खान को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है। बांग्लादेशी महिला बेंगलुरु में पहचान बदलकर एक कपड़ा फैक्ट्री में मजदूरी कर रही थी।
देवबंद से गिरफ्तार हुए थे सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य
एटीएस ने 11 अक्टूबर को घुसपैठ कराने वाले सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य बांग्लादेश के मीरपुर निवासी आदिलुर्रहमान के अलावा बंगाल निवासी शेख नजीबुल हक व अबु हुरैरा गाजी को गिरफ्तार किया था। नजीबुल व अबु देवबंद (सहारनपुर) में रह रहे थे।
घुसपैठियों की मदद के लिए विदेशी फंडिंग
एटीएस को उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ कराने वाले सिंडिकेट से जुड़े अन्य सदस्यों की जानकारी भी मिली थी। यह भी सामने आया था कि सिंडिकेट को घुसपैठियों की मदद के लिए विदेशी फंडिंग भी हो रही थी।
जाली भारतीय दस्तावेज दिलवाए
नजीबुल व अबु ने पूछताछ में स्वीकार किया था कि उन्होंने आदिलुर्रहमान को उसके नाम के कूटरचित भारतीय दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। उन्होंने देवबंद में रह रहे बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद हबीबुल्ला मस्बाह उर्फ नजीब को भी उसके नाम के जाली भारतीय दस्तावेज दिलवाए थे।
25 हजार रुपये में महिला को बेचा
एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल के अनुसार, जांच में सामने आया था कि आदिलुर्रहमान बांग्लादेशी महिला तानिया मंडल को भी घुसपैठ कराकर लाया था, जिसे 25 हजार रुपये में इब्राहिम खान को बेच दिया था।
महिला व इब्राहिम दोनों बेंगलुरु में पहचान बदलकर रह रहे थे। एटीएस ने मंगलवार काे दोनों बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया गया है।
काम दिलाने का दिया था झांसा
एटीएस अधिकारियों का कहना है कि तानिया को यहां काम दिलाने का झांसा देकर लाया गया था। एटीएस ने महिला को घुसपैठ के मामले में पकड़ा है। उसे सिंडिकेट के सक्रिय सदस्यों के विरुद्ध सरकारी गवाह भी बनाया जा सकता है।
20 करोड़ की हुई थी विदेशी फंडिंग
घुसपैठियों के इस सिंडिकेट को 20 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग किए जाने के साक्ष्य भी मिले थे। विदेश से आई रकम का उपयोग घुसपैठियों के जाली दस्तावेज बनवाने, उन्हें शरण दिलाने व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में खर्च किया जा रहा था।
एटीएस इस दिशा में भी गहनता से छानबीन कर रही है। गिरोह के कई अन्य सक्रिय सदस्यों की तलाश भी चल रही है। सिंडिकेट हवाला के जरिए अपने सदस्यों तक रकम पहुंचाता था।