क्या है कहानी: फिल्म की कहानी मेजर (सिद्धांत चतुर्वेदी) और गुल्लू (ईशान खट्टर) की है, जो शुरू से ही भूत-प्रेत से काफी प्रेरित दिखते हैं। वो अपनी लाइफ में हमेशा ऐसा ही कुछ भूतिया करना चाहते हैं। ऐसे में एक पार्टी के दौरान कुछ ऐसा होता है जिसके बाद से इन दोनों को आत्माएं दिखने लगती हैं। इसके बाद दोनों के पास रागिनी (कटरीना कैफ) की आत्मा आती है और दोनों के साथ मिलकर एक बिजनेस शुरू करती है, जिससे आत्माओं को मुक्ति मिलती है और दूसरी ओर लोगों को भूत-प्रेत से छुटकारा। इस बीच रागिनी का फ्लैशबैक बताया जाता है कि कैसे उसकी मौत हुई और क्यों वो मेजर और गुल्लू के साथ ये काम कर रही है। फिल्म में विलेन आत्माराम के किरदार में जैकी श्रॉफ हैं। अब गुल्लू, मेजर और रागिनी मिलकर आत्माराम को हरा पाते हैं या नहीं, रागिनी की क्या है फ्लैशबैक स्टोरी और बहुत सारे अन्य सवालों के लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी।
क्या कुछ है खास:फिल्म शुरुआती 2-5 मिनट से ही माहौल बांध देती है और हंसाना शुरू कर देती है। शुरुआत में ही कुछ काफी फनी डायलॉग्स हैं, जो आपको हंसाते हैं। फिल्म को जबरन खींचा नहीं गया है, जो एक अच्छी बात है और जल्दी ही फिल्म ट्रैक पर आती है, यानी कटरीना की एंट्री हो जाती है। फिल्म में ‘गुल्लू स्पेशल’की रेसिपी भी सोचने में काफी बुरी लेकिन फिल्म में देखने में काफी मजेदार लगती है। फिल्म में आपको कुछ ऐसे एलिमेंट्स भी मिलेंगे, जिससे आप रियल लाइफ में भी कनेक्ट कर पाओ, जैसे पिता की बच्चों के फ्यूचर के लिए चिंता और फिर कभी कभी सख्त होना। इन सब चीजों के साथ ही साथ फिल्म का वॉयसओवर काफी शानदार है, खास तौर पर इंटरवेल वाला, जिसे सुनकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाओगे। वहीं रागिनी की लव स्टोरी पर गुल्लू का रिएक्शन भी बहुत क्यूट है, जो आपको याद रह जाएगा। फिल्म में ‘हीरो थीम’, ‘चूचा’, ‘राका’ और ‘रजनीकांत’ जैसे कुछ सरप्राइज भी हैं।
कैसी है एक्टिंग और निर्देशन: फिल्म की शुरुआत होती है ईशान और सिद्धांत से, जिस में से सिद्धांत पंजाबी मुंडा है और सिद्धांत साउथ इंडियन, और मजेदार बात ये है कि दोनों ही अपने किरदार में जचते हैं। सिद्धांत ने कैरेक्टर की लाइन सही पकड़ी है वहीं ईशान ने इस किरदार को काफी खूबसूरती से निभाया है। ईशान की बोलचाल में साउथ इंडियन टच दिखता है, लेकिन वो कहीं से भी भारी नहीं पड़ता है। कटरीना ने भी फिल्म में ठीक काम किया है, हालांकि उनसे इससे बेहतर की उम्मीद थी। वहीं उनकी हिंदी आज भी काफी रटी रटाई लगती है। इन तीनों के अलावा फिल्म में जैकी श्रॉफ ने बढ़िया काम किया है, एक ओर जहां उनका लुक फब रहा है तो दूसरी ओर उनकी आवाज ने भी जान डाली है। वहीं शीबा चड्ढा का जिक्र करे बिना ये फिल्म अधूरी है। शीबा ने बेहद मासूमियत से इस किरदार में जान डाली है। एक्टिंग के बाद, बात निर्देशन की करें तो फिल्म का निर्देशन गुरमीत ने किया है। जिनकी शुरुआत सीखते सीखते हुई है, निर्देशक की सीढ़ी तक वो धीरे-धीरे पहुंचे हैं और ये खूबसूरती उनके इस काम में दिखती है।
कहां खाई मात: फिल्म में जहां काफी चीजें अच्छी हैं, तो कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जो बढ़िया हो सकती थीं। जैसे फिल्म में कई जगह वाट्सएप जोक्स का इस्तेमाल हुआ, जो काफी सालों से सुनते आ रहे हैं। कुछ सीन्स आप पुरानी फिल्मों में देख चुके हैं (जैसे स्लो कार सीन, हे बेबी में दिखा था), उन्हें कुछ अलग अंदाज में दिखाया जा सकता था। रागिनी और दुश्यंत की लव स्टोरी में डेप्थ नहीं दिखती है, हालांकि बाद में उसके लिए ही जंग लड़ी जाती है। फिल्म का पहला पार्ट जहां स्ट्रॉन्ग है, तो दूसरा पार्ट उससे कमतर साबित होता है। फिल्म के वीएफएक्स कार्टून नेटवर्क जैसे लगते हैं, और आखिरी में तो काफी कमजोर साबित होते हैं। इसके अलावा भी कुछ तकनीकी मुद्दों पर फिल्म में बेहतरीन की गुंजाइश दिखती है। फिल्म को हॉरर कॉमेडी कहा जा रहा है, जबकि हॉरर जैसा कुछ फील ही नहीं होता है।