वाराणसी। सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय का वाराणसी से गहरा नाता रहा। संघर्ष काल में गोरखपुर से इनका परिवार वाराणसी आकर सोनारपुर इलाके में रहने लगा और उसी दौरान उनका शहर के कई नामी लोगों से परिचय भी हुआ।
सोनारपुर क्षेत्र के रहने वाले डॉक्टर अभिजीत बनर्जी से सुब्रत राय की अच्छी दोस्ती थी। डॉक्टर अभिजीत ने सुब्रत राय को दो हजार रुपये देकर व्यवसाय शुरू करने को कहा। इसी रुपये के साथ सुब्रत राय का सफरनामा शुरू हुआ। दो हजार रुपये के साथ उन्होंने कारोबार शुरू किया तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
देवव्रत मजूमदार से गहरा नाता
बीएचयू के दिग्गज छात्र नेता और हिंदी आंदोलन के प्रणेता देवव्रत मजूमदार से इनका गहरा नाता रहा। गौदोलिया स्थित दी रेस्टोरेंट में उन दिन चाय की चुस्की लेने हर क्षेत्र के महारथी आते थे। यहीं पर सुब्रत राय का परिचय मजूमदार दादा से हुआ। इसके बाद दोनों में गहरा रिश्ता बन गया।
हर जरूरतमंद का ध्यान रखते थे सुब्रत
देवव्रत मजूमदार की पत्नी डा. अरुपा मजूमदार के अनुसार, सुब्रत हमेशा से ही एक बेहतर इंसान रहे। संघर्ष काल हो या फिर सफलता का दौर कभी भी दूसरों की सहायता करने में पीछे नहीं थे। हर जरूरतमंद का ध्यान रखते थे। जब मजूमदार दादा बीमार हुए तो मुंबई ले जाकर बेहतर तरीके से इलाज कराया। चुनाव में भी उन्होंने काफी सहायता की।
सच्चा मददगार इस दुनिया से चला गया
सुब्रत राय के परिवार से एक खास रिश्ते की चर्चा करते हुए डॉ. अरुपा ने कहा कि हर सुख-दुख के साथ हम लोगों को नाता रहा। उनके निधन से काफी दुख हुआ, क्योंकि एक सच्चा मददगार इस दुनिया से चला गया।