उमरिया। देश में सबसे ज्यादा 165 बाघों वाले मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सफारी के टिकटों की बुकिंग पर पूरी तरह से रिसोर्ट और होटल संचालकों ने कालाबाजारी का जाल बिछा रखा है। निर्धारित संख्या के अनुसार, प्रतिदिन आनलाइन बुकिंग के माध्यम से 149 और आफलाइन बुकिंग से 10 पर्यटक ही सफारी के लिए टिकट ले सकते हैं।
ऐसे में, रिसोर्ट और होटल संचालक प्रतिदिन अपने कर्मचारियों के नाम पर सारे टिकट बुक करा लेते हैं। नतीजतन, दूर से आने वाले पर्यटकों बुकिंग ही नहीं करा पाते। ऐसे पर्यटकों को सफारी का आनंद लेने के लिए रिसोर्ट और होटल संचालकों का सहारा लेना पड़ता है।
मनमाना दाम वसूलते हैं
ये संचालक मनमानी धनराशि लेकर स्वयं द्वारा पहले से बुक कराए टिकट पर्यटकों को देते हैं और इस तरह कालाबाजारी करके प्रतिदिन लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। आनलाइन बुकिंग में टाइगर रिजर्व का एक नियम भी कालाबाजारी करने वालों के लिए सहायक बन रहा है।
दरअसल, आनलाइन बुकिंग प्रक्रिया में पुराने नाम की बुकिंग निरस्त कर नए नाम जोड़ने की व्यवस्था है। इस प्रक्रिया में रिसोर्ट और होटल संचालक पहले से अपने कर्मचारियों के नाम से बुक कराए टिकट के मनमाने दाम वसूलकर उनके टिकट को पर्यटकों के नाम करा देते हें।
वैसे, वन विभाग को इस कालाबाजारी की जानकारी है। पिछले सप्ताह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंचे नए डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने स्वयं ही कहा था कि कुछ रिसोर्ट और होटलों के संचालक टिकट की कालाबाजारी कर रहे हैं, उनको यह जानकारी मिली है। उन्होंने ऐसा करने वालों को यह कहकर चेतावनी भी दी थी कि कालाबाजारी करने वालों पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, पिछले दिनों एक मामला में कार्रवाई की गई।
बता दें कि मध्य प्रदेश टाइगर रिजर्व की वेबसाइट पर सफारी के लिए आनलाइन बुकिंग की जाती है, जिसमें पर्यटकों से पार्क के भीतर जाने तथा जंगल की सैर कराने वाले वाहन (जिप्सी) के 2450 रुपये लिए जाते हैं। रविवार अथवा किसी त्योहार में पड़ने वाले प्रीमियम डे पर यह शुल्क बढ़कर 3050 रुपये हो जाता है।
एक टिकट से छह पर्यटक कर सकते हैं सफारी
एक टिकट से छह पर्यटक सफारी कर सकते हैं, लेकिन समूह में पहुंचने वाले पर्यटकों में से सिर्फ एक नाम अतिरिक्त जोड़ा जा सकता है। समूह के अलग-अलग लोगों को जोड़कर प्रति व्यक्ति अतिरिक्त पैसा लिया जा रहा है। जिप्सी सवारी के लिए सभी पर्यटकों की बुकिंग होती है, लेकिन इसमें भी संख्यावार अतिरिक्त पैसे लिए जा रहे हैं।
करंट बुकिंग में भी काजाबाजारी की जा रही है। इसके लिए बाहरी लोगों की आइडी लगाकर रिसोर्ट और होटल संचालकों के लोग विंडो खुलने के समय से पहले ही कतार में खड़े हो जाते हैं और पहले ही बुकिंग करा लेते हैं।