चित्रकूट. सदर ब्लाक कर्वी की ग्राम पंचायत डिलौरा में मनरेगा योजना से कराए गए कार्यों की जांच की गई थी जिसमें सड़क निर्माण कार्य,इंटरलॉकिंग खड़ंजा निर्माण कार्य, आवास योजना, शौचालय निर्माण, गौशाला व तालाबों के खुदाई आदि कार्यों की जांच की गई जिसमें बड़ी गड़बड़ी पाई गई थी जिसमें ग्राम पंचायत डिलौरा के पूर्व प्रधान देवीदीन, पूर्व प्रधान कल्पना के पति रमेश सोनी, राकेश कुमार, छविलाल, आशीष पांडेय और मुजबिन हुसैन के खिलाफ फर्जीवाड़े और घपले की रिपोर्ट सदर कोतवाली में दर्ज़ हुई थी जिसमें आरोपियों को जेल जाना पड़ा था वहीं ग्राम पंचायत में तैनात रहे सचिवों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई थी
ग्राम पंचायतों के विकास कार्य ग्राम प्रधान व सचिव की सहमति से होते हैं वह कार्य चाहे मनरेगा योजना से कराए जा रहे हों या फिर राज्य वित्त, चौदहवें/ पंद्रहवें वित्त व अन्य ग्राम निधि से कराए जा रहे हों हर कार्य का भुगतान ग्राम प्रधान व सचिव के हस्ताक्षर होने पर ही किया जाता है वहीं मनरेगा कार्यों के भुगतान में तकनीकी सहायक, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी व कार्यक्रम अधिकारी की स्वीकृति पर ही भुगतान किए जाते हैं लेकिन जब धांधली व गबन के नाम पर शिकायत होती है और जॉच कर कार्यवाही की जाती है तो ग्राम प्रधान पर ही ज्यादातर कार्यवाही की जाती है जबकि इस गबन और घोटाले में सभी लोगों पर कार्यवाही होनी चाहिए
ग्राम पंचायत डिलौरा में विकास कार्यों के नाम पर हुए फर्जीवाड़े व गबन के आरोपी ग्राम प्रधान व अन्य पर कार्यवाही की गई लेकिन फर्जीवाड़े व गबन में बराबर के हकदार रहे सचिवों पर कार्यवाही आखिर क्यों नहीं की गई है l
ग्राम पंचायत डिलौरा में विकास कार्यों के नाम पर हुए फर्जीवाड़े व गबन में बराबर के हकदार रहे सचिवों के विरुद्ध कब कार्यवाही की जायेगी