22 जनवरी को अयोध्या में होने वाली प्राण-प्रतिष्ठा से पहले यूपी एसटीएफ को बड़ी सफलता मिली है। एसटीएफ की मेरठ इकाई ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर भारत में जाली नोट के साथ ही असलहा और गोला-बारुद सप्लाई करने के आरोपी तहसीम उर्फ मोटा को मुजफ्फरनगर के करनाल रोड स्थित शखावत चौराहा से गुरुवार को गिरफ्तार किया है। तहसीम अपने भाई कलीम के साथ मिलकर देश विरोधी गतिविधियां कर रहा था। कुछ दिन पहले वह एसटीएफ के चंगुल से बचकर निकल भागा था। उसने पूछताछ में आईएसआई एजेंटों के जरिये देश की संप्रभुता को खंडित करने वाली गतिविधियों में शामिल होने की बात कबूल की है।
डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार और एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेस कर तहसीम उर्फ मोटे के कारनामों का खुलासा किया। प्रशांत कुमार ने बताया कि शामली निवासी आईएसआई एजेंट असलहा तस्कर कलीम पुत्र नसीम अहमद को गिरफ्तार किया गया था। साथ ही उसके साथी इमरान की भी जाली नोटों के साथ गिरफ्तारी हुई थी। इन दोनों अपराधों में तहसीम भी वांछित था। यूपी एटीएफ के अलावा एनआईए को भी उसकी तलाश थी। तहसीम ने बताया कि उसके भाई कलीम का पाकिस्तान आना-जाना था। वहां कलीम की मुलाकात कुछ आईएसआई के हैंडलरों से हुई। आईएसआई ने उसे भारत में असलहे और गोला-बारूद तस्करी के लिए राजी किया और इसके एवज में मोटी रकम देने की बात की। उससे भारत के विभिन्न स्थानों पर दंगा कराने और विध्वंसक गतिविधियों के लिए तैयार किया गया।
इसके बाद तहसीम और कलीम फर्जी सिम कार्ड के जरिये आईएसआई एजेंट दिलशाद उर्फ मिर्जा और कांधला निवासी नफीस से संपर्क कर गोपनीय सूचनाएं भेजने लगे। साथ ही असलहा और गोला बारूद मंगाया जाने लगा। नफीस के जरिये दोनों जाली करेंसी मंगाते थे। कलीम के गिरफ्तार होने के समय तहसीम फोन छोड़कर फरार हो गया था।
एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि तहसीम ने कबूला है कि वह वर्ष 2002 में शामली निवासी हमीदा जो फिलवक्त लाहौर में रहती है, के घर गया था। वहां से कत्था-पान आदि लाने के बहाने गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हो गया। वहां उसकी मुलाकात कैराना के रहने वाले पाकिस्तान फरार हो गए इकबाल काना से हुई। हमीदा भी इकबाल काना की मदद से ही पाकिस्तान चली गई थी। लाहौर में तहसीम की मुलाकात ड्राईफ्रूट व्यापारी केसर से हुई। केसर इकबाल काना का करीबी था। केसर ने ही उसे जाली नोट भारत भेजने के लिए तैयार किया। केसर ने ही तहसीम की मुलाकात दिलशाद उर्फ मिर्जा से कराई।
उसने कबूला है कि वर्ष 2002 से 2008 तक उसने करीब सात लाख रुपये के जाली नोट भारत मंगवाए। इन जाली नोटों को उसने दिल्ली और अमृतसर में खपाया। तहसीम शामली के अमीर अहमद के साथ 70 हजार और दूसरी बार रमन शर्मा के साथ 8 लाख रुपये के नकली करेंसी के साथ दिल्ली में पकड़ा गया था। तीसरी बार वह अमृतसर पंजाब में अपनी गाड़ी में लगभग 22 लाख रुपये की नकली भारतीय करेंसी के साथ गिरफ्तार किया गया था। तहसीम वर्ष 2016 तक जेल में रहा और जेल में ही उसकी मुलाकात शाहिद से हुई। शाहिद की मदद से वह ड्रग की तस्करी करने लगा। शाहिद अमृतसर जेल से निकलने के बाद शाहिद पाकिस्तान फरार हो गया।
तहसीम के विरुद्ध करतारपुर जालंधर थाने में आर्म्स सप्लाई का केस दर्ज है। पंजाब पुलिस भी उसकी तलाश कर रही थी। वर्ष 2019 में शाहिद ने तहसीम को कश्मीर से 10 पिस्तौलें सप्लाई की थीं। दो वर्ष पहले एनआईए दिल्ली ने उसके खिलाफ एनडीपीएस और गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया था। तब से तहसीम गिरफ्तार चल रहा था। उसकी सुरागरसी पर साथियों की तलाश की जा रही है।