ब्रसेल्स: रूस के साथ भीषण जंग के खतरे को देखते हुए उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के देश अगले सप्ताह शीतयुद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास शुरू करने जा रहे हैं। इस अभ्यास में नाटो के 90 हजार सैनिक, 50 युद्धपोत, 80 फाइटर जेट और 1100 युद्धक वाहन नाटो के युद्धाभ्यास स्टेडफास्ट डिफेंडर 2024 में हिस्सा लेंगे। नाटो के इस महाअभ्यास का उद्देश्य ये देखना है कि अगर रूस के साथ किसी बड़े युद्ध की स्थिति बनती है, तो अमेरिकी सेना किस तरह से अपने यूरोपीय सहयोगियों की मदद कर सकती है। यह अभ्यास खासकर रूस की सीमा से लगे देशों और नाटो के पूर्वी हिस्से के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
बताया जा रहा है कि इस अभ्यास में 90 हजार सैनिक हिस्सा लेंगे। यह अभ्यास मई तक चलता रहेगा। नाटो के शीर्ष कमांडर क्रिस कावोली ने गुरुवार को इसका ऐलान किया। उन्होंने बताया कि इस अभ्यास में 50 युद्धपोत, 80 फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर और ड्रोन विमान हिस्सा लेंगे। इसके अलावा कम से कम 1100 युद्धक वाहन भी अभ्यास में अपना दम दिखाएंगे जिसमें 133 टैंक और 533 इन्फैंट्री फाइटिंग वीइकल शामिल हैं। कावोली ने कहा कि नाटो अपने इस बड़े अभ्यास में ये देखेगा कि कैसे वह अपने ‘क्षेत्रीय रक्षा प्लान” को हकीकत में ला सकता है। ये ऐसे प्लान हैं जो दशकों में पहली बार बनाए गए हैं और रूस के किसी भी हमले से निपटने के तरीके बताते हैं।
रूस के खिलाफ क्या है नाटो का प्लान ?
नाटो ने भले ही अपनी घोषणा में रूस का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन उसके सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक दस्तावेज बताते हैं कि रूस नाटो सदस्यों की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा और सीधा खतरा है। नाटो ने अपने बयान में कहा, ‘स्टेडफास्ट डिफेंडर 2024 दिखाएगा कि नाटो किस तरह उत्तरी अमेरिका और अन्य सदस्य देशों से सुरक्षा बलों को जल्दी से यूरोप भेज सकता है।’ नाटो के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक की बैठक के बाद बताया गया कि अमेरिका और दूसरे नाटो देश यूरोप में अपने साथियों की जल्दी मदद करने का अभ्यास करेंगे। ये एक “संभावित युद्ध” के दौरान किया जाएगा, जहां नाटो को किसी बड़े देश से लड़ना पड़ सकता है।
नाटो देशों ने आखिरी बार शीत युद्ध के दौरान 1988 में इतने बड़े युद्ध अभ्यास किए थे। इसमें 1 लाख 25 हजार सैनिक शामिल थे। इसके बाद 2018 में भी ऐसा ही अभ्यास हुआ था, जिसमें 50 हजार सैनिकों ने भाग लिया था। इस नए अभ्यास में नाटो के सभी देशों और स्वीडन के सैनिक शामिल होंगे। स्वीडन भी जल्द ही नाटो का सदस्य बन सकता है। नाटो देश पोलैंड में तत्काल सेना भेजने की योजना पर काम करेंगे जो रूस के निशाने पर है। यूक्रेन युद्ध में पोलैंड ने ही सबसे ज्यादा मदद जेलेंस्की को मदद भेजी है जिससे वह रूस उसके ऊपर भड़का हुआ है। नाटो का यह अभ्यास बाल्टिक देशों में भी होगा जहां रूस के हमले का खतरा काफी ज्यादा है।