एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी सामने आई है. रिपोर्ट बताती है कि राज्य के सतना जिले में इस योजना के तहत बने कम से कम 75 घर गायब पाए गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, योजना के तहत मृतकों के नाम पर भी घर स्वीकृत कर दिए गए. वहीं, कई गरीबों को मकान नहीं मिला लेकिन उनके खाते में पैसे डाले गए और बाद में निकाल भी लिए गए.
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही धनतेरस के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में राज्य के साढ़े चार लाख गरीबों को पीएम आवास सौंपे थे. कार्यक्रम एक वर्चुअल ‘गृह प्रवेश’ समारोह था, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी.
जब योजना के तहत बने आवासों की पड़ताल के लिए सतना जिले के रहिकवारा गांव पहुंचा तो पाया कि 2015 से यहां बनाए गए 600 घरों में से कई मकान मृतकों को आवंटित कर दिए गए. वहीं, योजना के जीवित लाभार्थियों की बात करें तो कुछ से बात करने पर पता चला कि उन्हें कुछ मिला ही नहीं.
सतना जिले में करीब 698 पंचायतें हैं. रहिकवारा में उनमें से एक का दौरा किया, जहां स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों की एक जनसुनवाई में अनियमितताओं के बारे में शिकायत की.
ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला लालमन चौधरी का था, जिनकी मौत 2016 में हो गई थी. लेकिन, फिर भी 2021-22 के बीच उनके खाते में पैसा डाला दिया गया. उसकी पत्नी ठीक से सुन नहीं सकती, उनका बेटा विशेष रूप से सक्षम है और बहू बोल नहीं सकती.
लालमन के बेटे शिवकुमार चौधरी ने बताया, ‘हमारे खाते में कोई पैसा नहीं आया है. जब हमने यह कागज देखे, तो हमें इस बारे में पता लगा. इसके बाद हमने पंचायत सचिव को बताया. उन्होंने कहा, ‘मैं कहीं से ‘जुगाड़’ से इंतजाम कर दूंगा.’
सुंदी बाई की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उन्हें शौचालय और अन्य योजनाओं के तहत राशन के अलावा एक घर भी मिला, लेकिन केवल कागज पर. वह अभी भी एक झोपड़ी में रहती हैं. उन्होंने हाथ जोड़कर संवाददाता से कहा, ‘बेटा, मुझे घर दिलवा दो, मेरा सब लूट लिया. पैसा दिलवाने में मेरी मदद करो. मुझे राशन भी नहीं मिलता. मेरे पति की मौत हो चुकी है.’
इसी तरह मुन्नी बाई गुप्ता को केवल सरकारी कागज में मकान की स्वीकृति मिली, लेकिन न मकान मिला और न पैसा.
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार का कहना है कि इन अनियमितताओं की जांच करने के लिए तीन टीमों का गठन किया गया है, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से कोई भी इस संबंध में बात करने के लिए तैयार नहीं है. सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिसोदिया से संपर्क करने के बाद भी बात नहीं हो सकी.
बाद में, मीडिया से बात करते हुए उन्होंने 7 सेकेंड के स्पष्टीकरण में कहा कि मामले की जांच कर रहे हैं, दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.
बात सिर्फ पीएम आवास योजना तक सीमित नहीं है, रिपोर्ट रहिकवारा ग्राम पंचायत में शौचालय घोटाले की भी बात करती है, जिसके मुताबिक रहिकवारा में 1,200 से अधिक शौचालयों को मंजूदी दी गई थी लेकिन लालमन चौधरी के परिवार जैसे कई ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें कभी कोई शौचालय नहीं मिला और अभी भी खुले में शौच जाते हैं.
मामला सामने पर प्रशासन ने जांच के बाद पूर्व सरपंच बलवेंद्र सिंह, जो सतना भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह के भाई हैं और दो कनिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.
एफआईआर में पंचायत समन्वयक राजेश्वर कुजूर और ग्राम रोजगार सहायक ब्रजकिशोर कुशवाहा का भी नाम है. पंचायत समन्वयक को निलंबित कर दिया गया है और ग्राम रोजगार सहायक को बर्खास्त कर दिया गया है.