“चंदा ने पूंछा तारों से,तारों ने पूछा हजारों से,सबसे प्यारा कौन पापा, मेरे पापा”
ललितपुर। पिता डांटते हैं, नाराजगी जताते हैं।उनकी सलाह और रोक टोक सख्ती लगती है।लेकिन चुपके से जो जीना सिखा देते हैं,बिन कहे मजबूत जो बना देते हैं वो पापा ही तो हैं।पिता बच्चों का सुरक्षा कवच हैं, इसलिए कठोर तो होना ही होगा उन्हें।यही उनकी प्रकृति बच्चों को हर मुश्किल पल और कठिनाइयों से निकलना सिखा देती है,अगर बच्चे उनकी भावना पर ध्यान दें तो पिता की चुप्पी व्यावहारिक सलाहों और सख्ती के पीछे छुपे नाजुक भाव और सलाह समझना जीवन को समझना है। हर साल जून माह के तीसरे रविवार को आने वाला फादर्स डे बडे ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज ने फादर्स डे को एक अलग ही पहचान दी है। इस दिवस को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित हैं। फादर्स डे पिता के सम्मान का दिन है। भारतवर्ष में यह उत्सव बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।आज के दिन बच्चे अपने पिता को सम्मान देकर अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करते हैं। इस दिन बच्चे पापा को मिठाई खिलाकर व गिफ्ट देकर उनका सम्मान करते हैं।बच्चों ने परिचर्चा के माध्यम से पापा को संदेश भेजकर कहा कि एक पिता ही हैं जो हमारी ख्वाहिशों को पूरा करते हैं। हमारे सुख-दु:ख में साथ निभाते हैं। हमें अपने पिता के आदर व सम्मान में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। उनकी हर एक बात का आदर करना चाहिए। बच्चों ने कहा कि हमने हमेशा पिता से सीखा है कि चाहे कुछ भी हो जाए हमें अपने आप से नियंत्रण कभी नहीं खोना चाहिए। पापा हमेशा संयमित व्यवहार कुशलता से हर कार्य को सफलता पूर्वक समाप्त करते हैं। उनके ही बताये हुए रास्ते पर हम चलें।तभी हमारा फादर्स डे मनाना सार्थक होगा। बच्चों बोले- सबसे अच्छे कौन मेरे पापा
“बच्चों को मुस्कान बांटते,
ममता माया देते हैं
तेज धूप में इनसे मिलना
तुमको शीतल कर देंगे
ऐ ऐसे वरगद हैं,
सबको छाया देते हैं।”
01- बच्चों के लिए आदर्श हैं पापा- अनुष्का सोनी
अनुष्का सोनी का कहना है कि मेरे पापा मेरे लिए आदर्श हैं।क्योंकि वे एक आदर्श पिता हैं।उनमें वे समस्त योग्यताएं हैं जो एक श्रेष्ठ पिता में होती हैं।वह केवल एक पिता ही नहीं है बल्कि वह हमारे एक सच्चे दोस्त की तरह हैं। पिता हमें हार न मानने और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देते हैं।
02-भारतीय संस्कृति पितृ देवो भव -देशना
देशना जैन का कहना है कि भारतीय संस्कृति पितृ देवो भव, मातृ देवो भव की है। भारतीय संस्कृति अपनत्व और संस्कार में विश्वास करती है। हर परिस्थिति और परिवेश में बिना शर्त पिता को सम्मान देगें। पिता के प्रति मनोभाव अच्छे रखें।उनके प्रति हमेशा कृतज्ञता अभिव्यक्त करें।तभी भारतीय संस्कृति का संदेश “पितृ देवो भव” सार्थक एवं संबल प्रदान करेगा।
03- वट वृक्ष की तरह हैं पापा- आशी
आशी बजाज का मानना है कि पिता जीवन के अर्थशास्त्र को ऐसे संभालते हैं कि घर स्वर्णभूमि बन जाता है।हमारे पिता वह वट वृक्ष हैं जिसकी छांव में समस्त वेद,पुराण, पुण्य फलित होते हैं। पितृ दिवस पिता के सम्मान का दिन है।
04- बच्चों को संस्कारवान बनाते हैं पापा-दिव्यांश जैन
दिव्यांश जैन का मानना है कि पापा हर उम्र की वह संजीवनी हैं जो जिंदगी जीने का साहस पैदा करते हैं। हमें नैतिक संस्कारों को देते हैं।समय की हांडी रिश्तों को पकाती है और नए दौर में सबसे अच्छा रिश्ता पिता के साथ ही निभाते हैं।पिता ही हमें संस्कारों का बोध कराकर संस्कारवान बनाते हैं।
05- पापा ने सिखाया दूसरों का सम्मान करना- प्रियांश
प्रियांश कुशवाहा का कहना है कि मैंने अपने पापा से ही दूसरों का सम्मान करना सीखा है।मेरे पापा हमेशा मुझसे कहते हैं कि जब हम दूसरों को सम्मान देंगे तभी दूसरा व्यक्ति हमें सम्मान देगा।