त्वरित न्यायालय ने सुनाया निर्णय
चित्रकूट: व्यापारी के बेटे का अपहरण कर फिरौती मांगने और मौत के घाट उतार देने के मामले में दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अर्थदण्ड से भी दण्डित किया है। इसके अलावा अन्य तीन आरोपियों को भी दण्डित किया गया है।सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार सिंह ने बताया कि सरैंया निवासी तीरथ प्रसाद केशरवानी ने मानिकपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस को दी गयी तहरीर में शिकायतकर्ता ने बताया था कि उसका बेटा संजू उर्फ संजीव (15) बीती 18 मई 2018 को शाम 4 बजे बिना बताए घर से निकल गया था। उसने अपने परिवार के साथ परिचितों और रिश्तेदारों के यहां संजू को तलाश किया, किन्तु वह नहीं मिला। इसके चलते उसने मानिकपुर थाने में 20 मई को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बेटे की तलाश के दौरान वह 24 मई 2018 को अपने गांव के शुभम चैबे के घर में बैठा था। इस दौरान शुभम के मोबाइल में उसके बेटे संजू के मोबाइल से किसी ने फोन किया और उससे बात करवाई गई। जिस पर फोन करने वाले ने कहा कि संजू को छोडने के एवज में 15 लाख रूपए की मांग की गयी और न देने पर बेटे को मार डालने की धमकी दी गयी। रात होने के कारण वह उस समय थाने नहीं गया और दूसरे दिन सबेरे थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद 26 मई 2018 को पुलिस ने गांव के बाहर कुएं से उसके लडके संजू का शव बरामद किया। मृतक के पिता के अनुसार मोबाइल में फिरौती मांगने वाला उसके गांव सरैंया का बृजेन्द्र आरख है। उसके गांव के ही बृजेन्द्र , ओम प्रकाश उर्फ मुन्ना, नन्दकिशोर उर्फ ननका, राजेन्द्र व महेन्द्र आदि ने उसके लडके को मारकर कुए में फेंका था। पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था।
बचाव और अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीले सुनने के बाद बुधवार के विशेष न्यायाधीश नीरज श्रीवास्तव ने निर्णय सुनाया। जिसमें हत्या के मामले में दोष सिद्ध होने पर आरोपी सरैंया निवासी बृजेन्द्र व कौशाम्बी जिले के कटरी निवासी ओम प्रकाश उर्फ मुन्ना को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। साथ ही दोनों को 28-28 हजार रूपए के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया गया। इसके अलावा अन्य आरोपी कौशाम्बी जिले के कटरी निवासी नन्दकिशोर उर्फ ननका, सरैंया निवासी राजेन्द्र व महेन्द्र को चार-चार वर्ष कारावास के साथ 5-5 हजार रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।