गाजियाबाद में खाकी का ममता और वात्सल्य से भरा चेहरा सामने आया है. गाजियाबाद के बेव सिटी थाना क्षेत्र के डासना में दुर्गा अष्टमी के दिन नवजात बच्ची को कोई झाड़ियों के बीच छोड़ कर चला गया. लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस बच्ची के लिए जीवनदान बन गई. थाना वेब सिटी की चौकी दूधिया पीपल के प्रभारी पुष्पेंद्र चौधरी ने बच्ची को अपनाने का फैसला किया और उनके द्वारा बच्ची को अपने परिवार का हिस्सा बनाने के लिए आवश्यक कानूनी कार्यवाही शुरू की गई.
हालांकि बाल कल्याण समिति द्वारा अभी पुलिस को बच्ची को एमएमजी हॉस्पिटल की नर्सरी में भर्ती करवाकर रिपोर्ट समिति के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं. साथ ही बताया गया है कि इस तरह बच्ची को गोद नहीं लिया जा सकता. इसके लिए कानून प्रक्रिया है, जिसका पालन चौकी इंजार्ज को करना होगा और नियमानुसार किया जाएगा कि बच्ची उनको गोद दी जाएगी या नहीं.
दरअसल, बच्ची डासना क्षेत्र के गांव इनायतपुर के पास के राजवाहे के पास झाड़ियां में लावारिस हालत ने पड़ी मिली. बच्ची के रोने की आवाज सुनकर लोगों का ध्यान उस तरफ गया तो झाड़ियां में नवजात बच्ची पड़ी दिखी. मौके पर पहुंचे लोगो में हड़कंप का मच गया. इसके बाद सूचना स्थानीय पुलिस को दी गई. स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची को चेकअप और देखभाल के लिए डासना सीएससी ले जाया गया. बच्ची के परिवार की तलाश भी पुलिस द्वारा शुरू की गई लेकिन किसी का कोई पता नहीं चला.
इसके बाद डासना चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र सिंह के मन में बच्ची को अपनाने का विचार आया. इसको लेकर चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र सिंह द्वारा अपनी पत्नी राशि से बात की गई. इसके बाद उनकी पत्नी ने बच्ची को अपनाने के लिए अपनी सहमति जताई और कहा कि अगर नवरात्रि जैसे पावन मौके पर बच्ची घर आएगी तो बेहद शुभ और इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है. दरअसल चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र की शादी 2018 में राशि से हुई थी लेकिन अभी तक उनके कोई संतान नहीं है जिसके बाद उनके द्वारा इस मासूम बच्ची को गोद लिया गया है. इस बच्ची को अपनाकर चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र सिंह और उनका परिवार बेहद खुश हैं और इसे नवरात्र में माता का आशीर्वाद बता रहे हैं.
इस पूरे मामले में इंस्पेक्टर थाना बेब सिटी अंकित चौहान ने बताया कि बच्ची लावारिस हालत में पुलिस को मिली है. बच्ची को चौकी इंचार्ज पुष्पेंद्र और उनका परिवार गोद लेना चाहता है जिसके लिए कानूनी प्रक्रिया उनके द्वारा शुरू की गई है. वहीं एसीपी वेब सिटी लिपि नगायच ने बताया है कि फिलहाल बच्ची चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र सिंह और उनके परिवार के पास है, जिसे गोद लेने की इच्छा चौकी इंचार्ज पुष्पेंद्र द्वारा जताई गई है और बच्ची को कानूनी रूप से अपनाने की कार्रवाई भी उनके द्वारा शुरू की गई है.
बाल कल्याण समिति बोली- गोद लेने की होती है प्रक्रिया
बाल कल्याण समिति, गाजियाबाद के न्याय पीठ (प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट) ने बताया कि SHO थाना वेव सिटी एवं चौकी इंचार्ज को निर्देशित किया गया कि डासना क्षेत्र में झाड़ियों से प्राप्त लावारिस नवजात बच्ची को तुरंत एमएमजी हॉस्पिटल गाजियाबाद में नर्सरी में भर्ती करवा एवं अस्पताल द्वारा बच्ची को स्वस्थ घोषित किए जाने पर न्याय पीठ बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करे. किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत गठित न्यायापीठ बाल कल्याण समिति द्वारा जिले के समस्त CNCP( चाइल्ड इन नीड एंड ऑफ केयर एंड प्रोटक्शन) एवं लावारिस शिशु की समस्त जिम्मेदारी एवं संरक्षण लेने का प्रावधान है. पुलिस बल अथवा कोई भी व्यक्ति इस प्रकार किसी भी बच्चा व बच्ची को विधिक रूप से गोद नहीं ले सकता. बालक बालिकाओं को वैधिक रूप से गोद लेने हेतु शासन के अंतर्गत कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.