रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों से कहा कि उन्हें किसी भी आकस्मिक स्थिति में कार्रवाई के लिए तैयार करना चाहिए। यह तैयारी उच्च स्तर पर होनी चाहिए। रक्षा मंत्री ने सैन्य कमांडर सम्मेलन में सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए सेना की सराहना की। उन्होंने कहा, उन्हें भारतीय सेना और उसके नेतृत्व पर पूरा भरोसा है। हमें परिचालन आकस्मिकताओं के लिए तैयार रहना चाहिए। रक्षा मंत्री ने अपनी सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने के अलावा नागरिक प्रशासन को मदद देने में सेना की भूमिका को सराहा। उन्होंने प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों समेत नागरिक उद्योगों के सहयोग से विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में सेना के प्रयासों और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति की भी सराहना की। सैन्य कमांडर सम्मेलन 11 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान सेना का शीर्ष नेतृत्व मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य और वर्तमान सुरक्षा तंत्र के लिए चुनौतियों के पहलुओं पर विचार-विमर्श करेगा।
जिनपिंग- किसी देश का नाम लिए बगैर कही तैयारी की बात
ताइवान से चल रहे तनाव के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने अस्थिरता का खतरा बढ़ने की बात कहते हुए युद्ध लड़ने, जीतने के लिए तैयारी रहने और क्षमता बढ़ाने का आदेश दिया। हालांकि जिनपिंग ने संबोधन में किसी देश विशेष का नाम लेने से परहेज किया। ऑस्ट्रेलिया की एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग मंगलवार को बीजिंग में एक केंद्रीय सैन्य आयोग के संयुक्त अभियान कमान सेंटर का दौरा करने गए थे। इस दौरान उन्होंने सैनिकों से मुलाकात भी की और ताइवान व अन्य देशों के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए सेना को आदेश दिया कि युद्ध की स्थिति कभी भी बन सकती है इसलिए सेना को चौबीस घंटे युद्ध के लिए तैयार रहना है। जिनपिंग ने कहा कि वो किसी भी युद्ध की तैयारी को व्यापक रूप से मजबूत करेंगे।
कहा, बदलावों के तौर से गुजर रही दुनिया
बीस लाख से अधिक जवानों और अधिकारियों वाली दुनिया की सबसे बड़ी सेना को अपने नए कार्यकाल के पहले पहले संबोधन में जिनपिंग ने कहा कि दुनिया ऐसे बदलावों से गुजर रही है जो पिछली एक सदी में नहीं देखे गए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता एवं अनिश्चितता के खतरे का सामना कर रही है और सेना के सामने कठिन कार्य है। जिनपिंग का यह बयान संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता के बीच आया है। उधर, चीन और भारत की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से गतिरोध जारी है।
ताइवान मुद्दे पर बढ़ा है तनाव
अगस्त में अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद यह तनाव बढ़ गया है। चीन ने पेलोसी की यात्रा को अपनी संप्रभुता के लिए एक चुनौती के रूप में देखा और ताइवान के ऊपर बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू कर और बैलिस्टिक मिसाइल दागकर ताकत के प्रदर्शन के साथ जवाबी कार्रवाई की। शी जिनपिंग के तीसरे राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ताइवान को लेकर चीनी नीति और सख्त हुई है। सरकार का कहना है कि ताइवान उसका अलग द्वीप प्रांत है, उसका जल्द ही चीन में पुनर्मिलन हो जाएगा। जबकि अमेरिका व उसके सहयोगी देश चीन के इस रवैये का विरोध करते हुए ताइवान को स्वतंत्र देश मानते हैं।
ताइवान कह चुका हम झुकने वाले नहीं
बीते दिनों ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कहा कि उनका स्वशासित द्विपीय देश चीन की आक्रामक धमकियों के आगे घुटने नहीं टेकेगा। हम चीन की धमकियों से डरने वाले नहीं हैं। ताइपे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वेन ने कहा था कि ताइवान स्वतंत्र राष्ट्र था और रहेगा। अगर चीन मानता है कि वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा, तो ये उसकी भूल है।
कहा, पूरी ताकत झोंक दो
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनपिंग ने सेना से कहा कि सेना को अपनी सारी ऊर्जा युद्ध में लगा देनी चाहिए। युद्ध की तैयारियों को लेकर सेना को अपनी क्षमता और संसाधनों को भी बढ़ाना चाहिए। जिनपिंग ने चीनी सशस्त्र बलों को 20वीं सीपीसी राष्ट्रीय कांग्रेस के मार्गदर्शक सिद्धांतों का पूरी तरह से अध्ययन, उनका प्रचार और कार्यान्वयन करने तथा राष्ट्रीय रक्षा और सेना को और आधुनिक बनाने के लिए ठोस कार्रवाई करने का निर्देश दिया।