भाजपा के पितृ पुरुष श्यामा प्रसाद मुखर्जी की योजना का पैसा हड़प गए सचिव और उपयंत्री: फर्जी बिलों से लाखों का भुगतान
प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश के मुखिया मोहन यादव की छवि धूमिल करने में जुटे जिला अधिकारी
छतरपुर। जनपद पंचायत छतरपुर की ग्राम पंचायत बंधीकला में भ्रष्टाचार का एक और बड़ा मामला सामने आया है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरबन मिशन के तहत विकास कार्यों के लिए आवंटित राशि को फर्जी बिलों के जरिए हड़पने का आरोप सचिव चंद्रभान पटेल और उपयंत्री सत्येंद्र शर्मा पर लगा है। जांच में खुलासा हुआ है कि इन अधिकारियों ने लाखों रुपये का गबन किया है, और यह जानकारी जिला पंचायत सीईओ तपस्या सिंह परिहार के पास पहुंच चुकी है। इसके बावजूद अब तक दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है।
14 अक्टूबर का ई भुगतान बना भ्रष्टाचार का प्रमाण,₹70,949 का भुगतान का फिर किया फर्जी भुगतान
श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरबन मिशन के तहत फर्जी बिलों के माध्यम से 14 अक्टूबर 2024 को ई भुगतान संख्या 3274 4370 के तहत ₹70,949 का भुगतान किया गया। यह राशि दो फर्जी बिलों के आधार पर जारी की गई, जिसका कोई वैध विवरण उपलब्ध नहीं है। सचिव और उपयंत्री की इस घोटाले में मिलीभगत स्पष्ट है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन मौन बना हुआ है।
सचिव की धमकी: “हमारा पैसा ऊपर तक जाता है”
सचिव चंद्रभान पटेल न केवल सरकारी धन का गबन कर रहे हैं, बल्कि शिकायतकर्ताओं को धमकी भी दे रहे हैं। उनका दावा है कि उनका पैसा नीचे से ऊपर तक सभी जगह पहुंचता है, इसलिए कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उनका कहना है कि वे इसी तरह भ्रष्टाचार करते रहेंगे, और कोई भी अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाएगा।
जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल
बंदी कला पंचायत में यह मुद्दा अब जन चर्चा का विषय बन चुका है। लोग यह सवाल कर रहे हैं कि जब जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार साबित हो चुका है, तो जिला पंचायत सीईओ तपस्या सिंह परिहार और अन्य जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने से क्यों कतरा रहे हैं? क्या उनके हाथ बंधे हुए हैं, या भ्रष्टाचार के इस खेल में वे भी किसी न किसी रूप में शामिल हैं?
प्रभारी मंत्री, कलेक्टर और सीईओ बने मूकदर्शक
इस मामले में सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि छतरपुर के प्रभारी मंत्री, कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ भ्रष्टाचार के इस खुले खेल के सामने मूकदर्शक बने हुए हैं। सचिव और उपयंत्री द्वारा बार-बार फर्जी बिल लगाए जा रहे हैं और उन्हें जानबूझकर ‘बिलर’ कर दिया जाता है ताकि कोई समझ न सके कि इनमें क्या हेरफेर किया गया है।
कड़े कदम उठाने की मांग
अब सवाल यह है कि जब इतनी बड़ी वित्तीय अनियमितताएं सामने आ चुकी हैं, तो प्रशासन दोषियों पर कब कार्रवाई करेगा? स्थानीय नागरिक और समाज के जागरूक लोग इस मामले में त्वरित और सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर ऐसे ही भ्रष्टाचार चलता रहा, तो न केवल पंचायतें विकास से वंचित रहेंगी, बल्कि सरकारी योजनाओं का उद्देश्य भी विफल हो जाएगा।
योजना का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा
श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरबन मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजना का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है। जनता अब उम्मीद कर रही है कि प्रशासन दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर इस भ्रष्टाचार को रोकेगा और पंचायतों को विकास की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।