भारत में बजट एयरलाइंस के तौर पर सबसे पहले चर्चित होने वाली एयरलाइन कंपनियों में से एक जेट एयरवेज को आज सुप्रीम कोर्ट ने सबसे बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी एयरलाइंस जेट एयरवेज के ऐसेट्स को बेचने का आदेश दे दिया. इससे साफ है कि अब ये एयरलाइन कभी दोबारा उड़ान नहीं भर पाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी स्पेशल संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जेट एयरवेज को ये आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कॉन्स्टीट्यूशनल पावर का इस्तेमाल किया
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी स्पेशल पावर का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने सामने लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश और डिक्री जारी करने का अधिकार देता है. बेंच ने एनसीएलएटी को उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई.
जेट एयरवेज के खिलाफ कोर्ट ने क्या आदेश दिया
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने जेट एयरवेज के रेसॉल्यूशन प्लान (समाधान योजना) को बरकरार रखने का ऑर्डर देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. इसके अलावा इसकी ओनरशिप को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को ट्रांसफर करने को मंजूरी देने के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को खारिज कर दिया.
बैंकों ने NCLT के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया
एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी एविएशन कंपनी के रेसॉल्यूशन प्लान को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को ट्रांसफर करने की मंजूरी दी थी. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था
बेंच की ओर से फैसला सुनाते हुए जस्टिस पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई और दूसरे लेंडर्स की याचिका को स्वीकार कर लिया. याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज के रेसॉल्यूशन प्लान को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेट एयरवेज का ऐसेट लिक्विडेशन लेंडर्स, वर्कर्स और दूसरे हितधारकों के हित में है. ऐसेट लिक्विडेशन के प्रोसेस में कंपनी के ऐसेट्स को बेचकर मिली रकम से कर्ज और अन्य लंबित खर्चों का भुगतान किया जाता है.