हरिद्वार: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को हरिद्वार में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. आज शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ सम्पन्न हो गयी. छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास भी संपन्न हो गया. धर्मनगरी हरिद्वार के घाटों की छठा इस मौके पर देखने लायक थी.
छठ पूजा संपन्न: हरिद्वार में रहने वाले बिहार और पूर्वांचल के लोग आज सुबह से ही हर की पैड़ी समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर पर एकत्र थे. उन्होंने गाजे बाजे और आतिशबाजी के बीच विधि विधान के साथ उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया. उनसे मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना की. ऐसी मान्यता है कि जो भी सूर्य भगवान की आराधना सच्चे मन से करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और धन धान्य से पूर्ण हो जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि सूर्यदेव की पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है.
उगते सूर्य को दिया गया अर्घ्य: लोक आस्था के छठ पूजा पर्व का व्रत चतुर्थी को शुरू होकर सप्तमी को संपन होता है. इस दौरान सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं और माना जाता है कि सूर्य भगवान की आराधना करने से सभी ग्रह अनुकूल हो जाते हैं. यह व्रत शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होता है और सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ फल आदि भी अर्पित किये जाते हैं. इस व्रत को करने से सुख शांति समृद्धि के साथ मनोकामना पूर्ण होती है. परिवार के साथ ही देश का भी कल्याण होता है.
पुरातन काल से चला आ रहा छठ पर्व: विशेषकर यह व्रत महिलाओं द्वारा पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है. यह व्रत एक कड़ी तपस्या है. मगर इसको करने वाले को कोई कष्ट महसूस ही नहीं होता है कि उन्होंने व्रत कैसे पूर्ण किया. श्रद्धालुओं का मानना है कि यह सब भगवान का और छठी मइया की कृपा से होता है. इस व्रत की पौराणिक कहानी भी है. माना जाता है कि भगवान राम और पांडवों के समय से यह व्रत चला आ रहा है.
हरिद्वार के गंगा घाटों पर उमड़ी छठ पूजा में भीड़: यूं तो छठ पूजा को बिहार और पूर्वांचल का त्यौहार माना जाता है और वहीं इस त्यौहार को खास तौर पर मनाया जाता है. मगर अब छठ पर्व को पूरे देश में ही मनाया जाने लगा है. छठ पूजा को मनाने के लिए हरिद्वार में भी दूर-दूर से लोग आते हैं. गंगा घाटों पर छठ मैया के गीतों को गाया जाता है. हर की पैड़ी समेत गंगा के तमाम घाटों पर श्रद्धालुओं द्वारा उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिन तक चला छठ पूजा का यह व्रत संपन्न हो गया और अब अगले वर्ष छठ पर्व की प्रतीक्षा है.
ज्योतिर्मठ में भी मनायी गयी छठ: आदि गुरु शंकराचार्य की तपोत्स्थली सीमांत नगर ज्योतिर्मठ में भी उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ महापर्व संपन्न हुआ. पिछले चार दिनों के सीमांत नगर ज्योर्तिमठ में भी कारोबार करने वाले पूर्वांचली समाज और बिहार क्षेत्र के लोगों का लोक आस्था को समर्पित छठ पर्व का आज धूम धाम से समापन हो गया है. नहाय-खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व के आज अंतिम दिन 8 नवम्बर को सुबह ऊषा अर्घ्य के साथ ही प्रसाद वितरण समारोह और विशेष भंडारे के साथ छठ पूजा उत्सव का समापन भी हो गया. इस पूजा के दौरान खास बात ये भी रही कि भगवान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते समय जल से भरे तालाब में एक व्रती महिला पर छठी माता अवतरित हो गईं, जिसके बाद पूजा अर्चना करके माता छठी ने सबको आशीष भी दिया.