(पॉक्सो एक्ट-2012),किशोर न्यायअधिनियम 2015 से ही न्याय
ब्यूरो बांदा
बांदा- आज दिनांक 23 नवंबर 2024 को जिला जज/अध्यक्ष विधिक सेवा प्राधिकरण- बांदा डा० बब्बू सारंग के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,बांदा के तत्वावधान में आरोग्य भारती संस्थान के सहयोग से यौन शोषण से बच्चों की सुरक्षा एवं कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण से बचाव के सम्बंध में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन कृषि विश्वविद्यालय-बांदा के उद्यान महाविद्यालय के सभागार में किया गया।
मुख्य अतिथि के रुप में डा०विकास श्रीवास्तव,अपर जिला जज / विशेष न्यायाधीश(एस.सी./एस.टी.) उपस्थित रहें।
अपने सम्बोधन में यौन शोषण से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम पॉक्सो एक्ट-2012 के सम्बंध में कहा गया कि 18 वर्ष से कम आयु की किसी महिला के साथ बलात्कार होने पर आपराधिक कानून (पॉक्सो एक्ट-2012) के अन्तर्गत 10 वर्ष से 20 वर्ष तक की सजा एवं मृत्युदण्ड तक का प्राविधान है।
इस अधिनियम के तहत कुछ नये प्राविधान भी शामिल किये गये है जैसे बलपूर्वक किसी महिला के कपड़े उतरवाना,यौन संकेत देना, पीछा करना,अवांछनीय शारीरिक स्पर्श, शब्द या संकेत एवं यौन
अनुग्रह आदि। बलात्कार, यौन यातना व क्रूरता के साथ बनाया गया शारीरिक सम्बंध अथवा हत्या या चोट का भय दिखाकर दबाव में यौन सम्बंध के लिये किसी महिला की सहमति हासिल करना एवं 18 वर्ष से कम आयु की किसी महिला के साथ उसकी सहमति या बिना सहमति के यौन सम्बंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में आने वाले गम्भीर अपराध है। ऐसी घटनाओं में यदि अभियुक्त अवयस्क/किशोर अथवा 18 वर्ष से कम आयु का हैं तो किशोर न्याय अधिनियम – 2015 के अन्तर्गत कार्यवाही अमल में
लायी जायेगी।
श्रीपाल सिंह,अपर जिला जज/सचिव,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,बांदा ने अपने
वक्तव्य में कहा कि किसी पुरुष द्वारा किसी महिला की इच्छा या सहमति के विरुद्ध उसके कार्यस्थल पर बलात्कार,यौन यातना व क्रूरता के साथ बनाया गया शारीरिक सम्बंध अथवा हत्या या चोट का भय दिखाकर दबाव में यौन सम्बंध के लिये किसी महिला की सहमति हासिल करना एवं 18 वर्ष से कम आयु की किसी महिला के साथ उसकी सहमति या बिना सहमति के यौन सम्बंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में आने वाले गम्भीर अपराध है। इसके लिए आई०पी०सी० की धारा-376 के अन्तर्गत न्यूनतम् सात वर्ष व अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्राविधान है तथा क्रूरता के साथ बलात्कार कर हत्या
करने पर मृत्युदण्ड का भी प्राविधान है। कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम,निषेध और निवारण) अधिनियम-2013 के अन्तर्गत ऐसी घटनाएं होने पर अभियुक्त को तीन वर्ष से सात वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्राविधान है। अभियुक्त के विरुद्ध आई०पी०सी० की धारा-354 के अन्तर्गत दाण्डिक कार्यवाही भी की जा सकती है। जज द्वारा उपस्थित श्रोतागणों को अपने बच्चों को अन्य व्यक्तियों द्वारा अच्छे व बुरे शरीरिक स्पर्श के सम्बंध में जागरुक करने तथा बच्चों को अकेला न छोड़े जाने के सम्बंध में व्यापक जानकारी प्रदान की
डा० राजेश राजपूत—चिकित्सक द्वारा अपने सम्बोधन में छात्र – छात्राओं को रोगो से बचाव हेतु आर्युवैदिक चिकित्सा का महत्व व दवाओं के सम्बंध में विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी। डा० एस०पी० सिंह एवं डा० रिषिका सिंह- दन्त चिकित्सक द्वारा अपने सम्बोधन में
छात्र-छात्राओं को दन्त सम्बंधी रोगो से बचाव के सम्बंध में विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी।
तरुण खरे-पराविधिक स्वयं सेवक द्वारा अपने सम्बोधन में छात्र-छात्राओं को योग से निरोग
बनने के उपायों पर प्रकाश डालते हुए जीवन में योग के महत्व को बताया गया ।
शिविर के अन्त में उद्यान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा० सत्यवृत द्विवेदी द्वारा उपस्थित आये सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया। शिविर का संचालन डा० रिषिका सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रवक्तागण डा० बालाजी विक्रम, डा० सुनील कुमार, डा० श्वेता सोनी,डा० बृजेन्द्र सिंह,श्रीमती गीतान्जली गुप्ता तथा राशिद अहमद डी०ई०ओ० – जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,
बांदा के साथ छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें ।