ब्यूरो कानपुर
कानपुर, शहीद शिरोमणी मातादीन जन्मोत्सव समिति के माध्यम से 1857 के प्रथम क्रान्तिकारी शहीद मातादीन व अमर शहीद गंगू बाबा की जयन्ती जीआईसी ग्राउन्ड लाल इमली कानपुर मे राष्ट्रीय स्तर से मना रहा है जिसकी अध्यक्षता जे0पी0 बाल्मीकि व संचालन चमन खन्ना ने किया
मुख्यवक्ता पंजाब पटियाला से चल कर आये प्रोफेसर हर्नेक सिंह ने बताया कि 1857 मे जो क्रान्ति हुई वह मातादीन जी के द्वारा शुरूआत किया गया। उन्होने ही अंग्रेजी सिपाही मंगल पाण्डे को बताया था कि जिस कारतूस से आप लोग दॉतो से खोलते है वह गाय सूवर की चर्बी से बनाया जाता है। मंगल पाण्डे को जब ये ज्ञात हुआ तो वह भी आन्दोलन मे कूद गये जिस कारण अंग्रेजो ने पहली फॉसी शहीद मातादीन जी को दी!
फतेहपुर से चलकर आये अर्थदर्शी भंगीराज तिलक जी ने बताया कि कानपुर के मशहूर पहलवान जिनकी पहलवानी कोशो दूर फैली थी क्योकि वह शेर को भी मार चुके थे ऐसा बुजुर्गो द्वारा बताया गया है। गंगू बाबा द्वारा 300 से अधिक अंग्रेजो को चुन्नी गंज मे बने तालाब मे डुबो डुबो को मारा। अंग्रेजो द्वारा पकड़े जाने पर उनको चुन्नी गंज मे पेड़ से लटका कर फॉसी दी गई। चुन्नी गंज मे बसे उनके वंसजो द्वारा उक्त स्थान पर उनकी प्रतिमा स्थापित किया प्रमुख रुप से निलेश भारतीय, एड0 कमल कुमार, भारतीय बाल्मीकि, हरीओम बाल्मीकि, प्रियॉन्शू चौधरी, सुप्रीम कोर्ट के वकील रमेश भंगी सुप्रीम कोर्ट के वकील सचिन ढींगिया, के0के0 हंस, सुधा जी, राजनारायण बौद्ध, मोतीलाल बौद्ध, मनोज बाल्मीकि, विक्रान्त अम्बेडकर, राजेश अम्बेडकर, शेखर भारतीय, आदि मैजूद थे