सरस्वती वंदना के साथ जिया माँ साहित्यिक मंच की 39वीं काव्य गोष्ठी का शुभारंभ व संचालन रीता सिंह ने किया।




चर्चा आज की ब्योरोचीफ विकास पाठक उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट
बेंगलुरु में,उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद की बेटी रीता सिंह ने बेंगलुरु में,साहित्य के प्रति किया नाम रोशन। बताते चले कि मोबाईल के माध्यम से रीता सिंह ने बताया कि जिया माँ साहित्य मंच के सह संस्थापक लेफ्टिनेंट किशोर सिंह राठौर और संस्थापिका रीता सिंह ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत अभिवादन किया ।कार्यक्रम में,
डाक्टर वीणा गुप्ता मेदनी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को बल मिला।वही श्री सिंह ने बताया कि हम लोगो का उद्देश्य यही है कि संगठन के माध्यम से साहित्य को जन जन से अवगत किया जाएगा।तथा जिया माँ साहित्य मंच के नाम से बीते तीन वर्षों से चल रहा है। उत्तर प्रदेश जनपद मुरादाबाद में जन्म ली है, और बेंगलुरु में, अपने गुरु जिया माँ के नाम से साहित्य से समाज में, जागृति करने का संघर्ष चल रहा है,रीता सिंह ने बताया । और वही यह भी बताया कि साहित्य हमारी संस्कृति का अध्याय हैं। और हम लोगों को साहित्य के साथ संस्कृति का ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।नव वर्ष के आगाज के साथ जिया माँ साहित्य मंच की 39वीं काव्य गोष्ठी का आयोजन 28 दिसंबर को सम्पन्न हुआ | शादियों के सीजन को मद्देनज़र रखते हुए ” रायता फैल गया ” पर हास्य व्यंग की रचनाओं के साथ नव वर्ष का आगाज हुआ | कार्यक्रम की अध्यक्षता जिया माँ साहित्य मंच के सह संस्थापक लेफ्टिनेंट किशोर सिंह राठौर ने की | मुख्य अतिथि के रूप में प्रेरणा साहित्य मंच बेंगलुरु की संस्थापिका डॉक्टर वीना गुप्ता मेदनी की गरिमामयी उपस्थिति रही | विशिष्ट अतिथि के रूप में शरद सोनी ने कार्यक्रम की शान बढ़ाई | जिया में साहित्य मंच के संस्थापिका रीता सिंह ने सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ व संचालन किया | मुख्य अतिथि का परिचय लेफ्टिनेंट किशोर सिंह राठौर ने दिया | विशिष्ट अतिथि का परिचय रीता सिंह ने दिया | सभी कवियों ने हास्य व्यंग की शानदार प्रस्तुति दी | प्रणव कुमार कुलश्रेष्ठ ने “”अश्वमेध फिर से करवायें, आओ थोडा सा रायता फैलाएं ।” चन्द्रमोहन नीले ने पंजाबी गीत, सुबेदार अशोक कुमार मिश्रा ने “रहते हैं कुछ लोग जहाँ में, हर बात में टांग फंसाते है। ” प्रेमलता रस बिन्दु ने ” इस वर्ष भी मैं नव वर्ष मनाऊँगी ”
शैलेन्द्र कुमार अम्बष्ट ने ” ओ मेरी जोहर जबी ” गीता चौबे ने ” उम्मीद है कि नववर्ष में खुशियाँ मिलें ।” डा. रामनिवास
तिवारी ने ” ईश्वर साथ उन्ही का देता जो मदद स्वयं की करते हैं। ” शरद सोनी ने “रायता सा है रिश्तेदारी का स्वाद।” मुख्य अतिथि डॉ वीणा गुप्ता ‘मेदनी ने “माता मेरी नाव खेना ” रीता सिंह ने ” रायता ज़ब भी फैलाया जाता है, पांव अपना ही कुल्हाडी पर आ जाता है। ” लेफ्टिनेंट किशोर सिंह राठोर ने ” नये साल में रायता ना फैलाना।” प्रस्तुत की | वन्देमातरम के साथ काव्य गोष्ठी का समापन हुआ |
