पत्नी के पैसों के लिए उसकी हत्या करने वाले 80 साल के स्वामी श्रद्धानंद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी रिहाई की मांग की है। श्रद्धानंद ने अपील में कहा है कि राजीव गांधी के हत्यारों तक को रिहा कर दिया गया है। अब मुझे भी रिहा किया जाए। श्रद्धानंद के वकील ने CJI डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली की बेंच के पास याचिका दायर की है। स्वामी श्रद्धानंद पत्नी शकीरा की हत्या के आरोप में मार्च 1994 से जेल में हैं।
पहले जानिए क्यों सजा काट रहे स्वामी श्रद्धानंद
मैसूर
के एक पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती शकीर ने ऑस्ट्रेलिया और ईरान
में भारत के पूर्व राजदूत रहे अकबर खलीली से शादी तलाक देकर खत्म कर दी
थी। इसके एक साल बाद 1986 में शकीरा ने श्रद्धानंद से शादी की थी।
श्रद्धानंद पर आरोप है कि उसने 600 करोड़ की संपत्ति हड़पने के लिए शकीर को 1991 में नशीला पदार्थ देकर बेंगलुरु के रिचमंड रोड पर बने बंगले के में जिंदा दफन कर दिया था। बाद में पुलिस ने शकीर की बॉडी खोदकर निकाली। इसके बाद 30 अप्रैल 1994 को श्रद्धानंद को अरेस्ट किया गया।
2000 में एक ट्रायल कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी। 2005 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने सजा ज्यों की त्यों रखी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने श्रद्धांनद की अपील पर 2008 में मौत की सजा को बिना किसी छूट के उम्रकैद में बदल दिया था।
वकील बोले- ये समानता के अधिकार का उल्लंघन
श्रद्धानंद
के वकील वरुण ठाकुर ने CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस
जेबी पारदीवाला की बेंच से कहा कि दोषी को एक हत्या के लिए बिना छूट के
उम्रकैद दी गई थी। वह पहले ही 29 साल जेल में बिता चुका है, यहां तक कि उसे
एक भी दिन पैरोल नहीं मिली है।
ठाकुर ने कहा- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी 30 साल की कैद के बाद पैरोल पर रिहा कर दिए गए हैं। यह समानता के अधिकार के उल्लंघन का मामला है। इसके बाद बेंच जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गई है।
ठाकुर ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता 80 साल से ज्यादा उम्र का है और मार्च 1994 से जेल में है। मृत्युदंड के बावजूद उसे तीन साल के लिए बेलगाम जेल के एकांत कारावास में रखा गया था। वह कई बीमारियों से भी पीड़ित है।